Maharaj Kamal Bir ji's Birthday: आत्म जागृति से ही आती है जीवन में आनंद व क्रांति

Sunday, Oct 02, 2022 - 01:36 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Maharaj Kamal Bir ji's Birthday: ‘मानुष जन्म अनमोल है, मिले न बारम्बार।अपना आप पहचान कर, इसको खूब संवार॥’

वास्तविक जीवन चाहते हो तो अपनी आत्मा को जगाओ, आत्म जागृति के बिना हम परम आनंद का अनुभव नहीं कर सकते। यही इच्छाओं, वासनाओं तथा सांसारिक कष्टों से छूट कर कर्मों से मुक्ति पाने का साधन है।आत्म जागृति का साधन केवल ध्यान (अंतर्ध्यान) है। ध्यान के द्वारा जब हम भीतर गहरे उतरते हैं तो मन तथा विचारों से मुक्त होकर आत्मा से जुड़ते हैं और हमारी चेतना जागृत होनी शुरू हो जाती है। हमारे भीतर विवेक जागता है, जो सच्चा जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करता है। हमें भीतर से ईश्वरीय संगति से युक्त कर आत्म रस तथा आनंद प्रदान करता है। हमें दुखों, सुखों से ऊपर उठा कर हम में ईश्वरीय गुण पैदा कर हमें संसार के कल्याण की ओर प्रेरित करता है। ये विचार रूहानी सत्संग प्रेम समाज के वर्तमान संचालक परम संत महाराज कमलबीर के हैं।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

परम संत महाराज कमलबीर जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1949 को रोहतक में श्री शिमला राम बजाज तथा माता राम बाई के घर में हुआ। माता धार्मिक वृत्ति की होने के कारण  महाराज बीर जी के सत्संग में जाया करती थीं। 

वह अपने साथ प्राय: बालक खरायती लाल बजाज (महाराज कमलबीर) को भी सत्संग में ले जाती थीं, जिससे बालक कमलबीर जी के मन में ईश्वर को जानने की इच्छा पैदा हुई। बाल्य काल की घटनाओं से यह बात प्रकट होती है। 

एक बार स्कूल में अध्ययन के दौरान प्रधान अध्यापक ने बच्चों से जीवन के लक्ष्य के बारे में लिखने को कहा तो बालक कमलबीर ने अपने लेख में  ‘अपने-आप की पहचान करना’ लिख कर सबको चकित कर दिया था। इसके उपरांत इनमें ईश्वर को जानने की इच्छा और भी प्रबल हो उठी थी। ग्रैजुएशन तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद आपने सरकारी नौकरी की तथा श्रम मंत्रालय में कार्य करते हुए 2009 में डिप्टी डायरैक्टर के तौर पर सेवामुक्त हुए।

1977 में श्रीमती कमलेश रानी से विवाह कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया तथा तीन संतानों के पिता बने। गृहस्थ जीवन निभाते हुए भी ईश्वर को जानने की इच्छा के कारण परम संत बीर जी महाराज के संपर्क में रहे तथा अपनी आत्मा को जागृत किया। रूहानी सत्संग प्रेम समाज की पूरी निष्ठा से सेवा की। 1995 में महाराज बीर जी के ब्रह्मलीन होने के पश्चात इन्हें प्रेम समाज के गुरु के रूप में आसीन किया गया।    

Niyati Bhandari

Advertising