Mahakumbh history 2025: आइए डालें महाकुंभ के इतिहास पर एक नजर...

punjabkesari.in Monday, Nov 18, 2024 - 01:01 AM (IST)

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Mahakumbh history 2025: महाकुंभ का आयोजन एक प्राचीन परंपरा है, जो वैदिक काल से चली आ रही है। इसके पीछे का मुख्य तात्पर्य है पवित्र नदियों में स्नान करना, जो मान्यता के अनुसार मनुष्य के पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है। कुंभ मेले का आयोजन चार स्थानों पर होता है: प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। ये स्थान हर तीन वर्षों में कुंभ मेला आयोजित करते हैं, जबकि महाकुंभ Mahakumbh हर 12 वर्ष में होता है, जो विशेष महत्व रखता है।

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Kumbh Mela History 2025: कुंभ का अर्थ होता है ‘कलश’। जब देवताओं और दानवों ने मिल कर समुद्र मंथन किया तब समुद्र से 14 दुर्लभ रत्न प्रकट हुए। इनमें अमृत से भरा कलश भी प्रकट हुआ। इस अमृत कलश को प्राप्त करने के लिए देवताओं और दानवों में धरती पर 12 वर्षों तक युद्ध होता रहा। इस युद्ध के दौरान अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं। ये बूंदें प्रयाग और हरिद्वार में गंगा जी में, उज्जैन में शिप्रा तथा नासिक में गोदावरी नदी में गिरीं। 12 वर्ष तक चले युद्ध के कारण 12 वर्षों के अंतराल के बाद इन सभी स्थानों पर कुंभ का योग बनता है जबकि हरिद्वार तथा प्रयाग में छ: वर्षों के बाद अर्थात अर्ध कुंभ का योग बनता है।

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History of Kumbh Mela 2025: जब दुर्वासा ऋषि के श्राप से देवता शक्तिहीन हो गए तथा दैत्य राज बलि का तीनों लोकों में स्वामित्व था। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के पास जाकर प्रार्थना की और अपनी विपदा सुनाई। तब श्री भगवान बड़ी ही मधुर वाणी से बोले कि इस समय आपका संकट का काल है, दैत्य, असुर, उन्नति को प्राप्त हो रहे हैं। अत: आप सब देवता दैत्यों से मित्रता कर लो। आप देवता और दैत्य क्षीर सागर का मंथन कर अमृत प्राप्त करो तथा उसका पान करो। तब श्री भगवान की आज्ञा से देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन कर अमृत से भरे कुंभ अथवा कलश को प्राप्त किया। 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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