Mahagauri vrat katha: आज महाष्टमी के शुभ अवसर पर पढ़ें मां महागौरी की कथा व पूजा विधि

Tuesday, Apr 16, 2024 - 12:06 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Mahagauri vrat katha: आज यानि 16 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है और इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी का पूजन किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। महागौरी का स्वरूप अत्यंत सुंदर, प्रकाशमय और ज्योतिर्मय माना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के अष्टमी तिथि को विशेष तिथि के रूप में मनाया जाता है। इसी कारण इसे महाअष्टमी के रूप में मनाते हैं। मान्यता है कि जो भी महाअष्टमी का व्रत रख कर मां महागौरी की उपासना करता है, माता महागौरी उसके कष्टों का निवारण करती हैं और माता का आशीर्वाद भक्त के ऊपर सदैव बना रहता है। मनुष्य ही नहीं देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर आदि भी अष्टमी पर मां का पूजन करते हैं। 

मान्यता है इस दिन जो भी भक्त मां महागौरी की अराधना करता है, वह सुख, वैभव, धन, धान्य से समृद्ध होता है। साथ ही रोग, व्याधि, भय, पीड़ा से मुक्त होता है। मां महागौरी का ये दिन बेहद विशेष माना जाता है। अगर आप भी मां महागौरी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो विधि पूर्वक मां महागौरी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय व्रत कथा का पाठ अवश्य करें या कथा को सुनें। इस व्रत कथा को सुनने मात्र से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। आज हम इस वीडियो में आपको बताएंगे महागौरी माता की पूजन विधि और व्रत कथा क्या है, तो आईए जानते हैं-

Fast story of Maa Mahagauri मां महागौरी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को लेकर दो कथाएं काफी प्रचलित हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या करते समय माता हजारों वर्षों तक निराहार रही थी, जिसके कारण माता का शरीर काला पड़ गया था। वहीं माता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया, माता का रूप गौरवर्ण हो गया। जिसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया।

दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कालरात्रि के रूप में सभी राक्षसों का वध करने के बाद भोलनाथ ने देवी पार्वती को मां काली कहकर चिढ़ाया था। माता ने उत्तेजित होकर अपनी त्वचा को पाने के लिए कई दिनों तक कड़ी तपस्या की और ब्रह्मा जी को अर्घ्य दिया। देवी पार्वती से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने हिमालय के मानसरोवर नदी में स्नान करने की सलाह दी। ब्रह्मा जी के सलाह को मानते हुए मां पार्वती ने मानसरोवर में स्नान किया। इस नदी में स्नान करने के बाद माता का स्वरूप गौरवर्ण हो गया। इसलिए माता के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया। 

How to worship Maa Mahagauri on the eighth Navratri of Maa मां की आठवीं नवरात्रि पर मां महागौरी का पूजन कैसे करें-
मां महागौरी के पूजन के लिए सुबह जल्दी उठकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
घर में किसी साफ स्थान पर पूजा के लिए चौकी स्थापित करें।
इस चौकी के ऊपर देवी महागौरी की तस्वीर स्थापित करें।
चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं, देवी को कुमकुम का तिलक लगाएं।
देवी के चित्र पर फूलों की माला पहनाएं।
इसके बाद अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, चावल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
देवी महागौरी को नारियल या उससे बनी मिठाई का भोग लगाएं।

 

Niyati Bhandari

Advertising