महाभारत: ये है आत्मा को देखने और बात करने का तरीका

Friday, Nov 22, 2019 - 07:37 AM (IST)

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महाभारत युद्ध के दौरान जब अर्जुन ने युद्ध लड़ने से मना कर दिया तब श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं, 'हे अर्जुन! तुम किस लिए डरते हो ? तुम स्वयं परमात्मा का एक अंश हो। अपने भीतर झांक कर अपनी आत्मा को देखो फिर तुम्हें आत्मा में उस परमात्मा का रूप दिखाई पड़ेगा।'

तब अर्जुन कहते हैं, 'हे प्रभु आप तो कहते हैं कि इस शरीर में आत्मा का वास है और अब आप कह रहे हैं कि आत्मा को देखो? आखिर इस आत्मा को देखेगा कौन? क्या कोई और भी शक्ति है इस शरीर में जो आत्मा देखेगी?

श्रीकृष्ण- हां, मन! यह मन बहुत शक्तिशाली है। अर्जुन मन के बारे में विस्तार से समझाने के लिए मैं तुमको एक कथा सुनाता हूं, ‘सोचो कि शरीर एक रथ है। इस रथ में पांच घोड़े हैं, जो रथ को चलाते हैं। ये पांच घोड़े ही हमारी पांच इंद्रियां हैं। इस रथ का सारथी है-‘मन’ और इस सारथी के हाथ में ही पांचों घोड़ों की लगाम है। यह जिधर चाहे उधर इन घोड़ों को ले जा सकता है। इस रथ का स्वामी एक राजा है, जो रथ के सिंहासन पर बैठा रहता है। यह राजा ही हमारी आत्मा है, जो इस पूरे रथरूपी शरीर का मालिक है। यह मन बहुत चंचल है, यह व्यसन, भोग-विलास और वासना की तरफ आकर्षित होता है। 

इस मनरूपी सारथी को जहां आनंद की डगर दिखती है, यह वहीं पांचों घोड़ों को ले जाता है। यह मनरूपी रथ का सारथी हमारी इंद्रियों से जो चाहे वह करवाता है और जिधर चाहे उधर ले जाता है। अगर राजा शक्तिशाली है तो वह रथ के सारथी को कुछ भी गलत करने से रोक सकता है। इसके लिए आत्मा यानी राजा को हमेशा इस पर नजर रखनी होगी। अगर आत्मा मन पर काबू पा ले तो यह मन फिर आत्मा का ही कहना मानता है। 

हे अर्जुन, यह मन इतना शक्तिशाली है कि अगर इसे इंसान ने काबू नहीं किया तो यह जीवन पर्यंत तुमको भटकाता रहेगा और अगर इंसान ने मन को काबू कर लिया तो यही मन आत्मा को परमात्मा तक लेकर जाता है, इतना बलशाली है यह मन! हे अर्जुन! इस मन की ताकत का तुमको तनिक भी अंदाजा नहीं है।

अर्जुन- हे कृष्ण! यह मन इतना बलशाली है तो इसे वश में करने के क्या उपाय हैं? कैसे इस मन रूपी सारथी को काबू में किया जाए?

श्री कृष्ण- इस मन पर काबू पाने के दो रास्ते हैं- पहला-अनुभव और दूसरा-वैराग्य। यह मन बड़ा चंचल है। जब भी यह गलत दिशा में जाए इसे रोको, अपने मन को वापस सही रास्ते पर लाओ। यह फिर भागेगा, तुम फिर इसे पकड़ कर लाओ। यह भागता रहेगा लेकिन तुम हर बार इसे पकड़ कर लाते रहो। 

जिस प्रकार किसी घोड़े को काबू में करने के लिए इंसान को कई प्रयत्न करने होते हैं। नया घोड़ा सवार को अपने ऊपर बैठने नहीं देता और घुड़सवार को बार-बार नीचे गिरा देता है लेकिन अगर घुड़सवार दृढ़निश्चयी है तो वह बार-बार गिरता है और फिर से घोड़े को काबू करने की कोशिश करता है और अंत में वह घोड़े पर काबू पाने में सफल हो जाता है और फिर यही घोड़ा उस घुड़सवार को उसकी मंजिल तक ले जाता है। ठीक उसी तरह तुमको भी बार-बार प्रयास करने होंगे तब कहीं जाकर यह मन वश में होगा। 

यह प्रक्रिया बहुत कठिन है लेकिन लगातार प्रयास करने से एक दिन ऐसा आएगा, जब यह मन सिर्फ तुम्हारे कहने पर ही चलेगा और तुम इसके सच्चे स्वामी बन जाओगे। दूसरा तरीका है- वैराग्य अर्थात जो बुरा है उसे समझो और अपने मन को समझाओ कि यह बुरा है। 

याद रहे, यह मन इतना शक्तिशाली है कि अगर इसे वश में कर लिया तो यह तुम्हारा हाथ पकड़कर परमधाम तक ले जाता है और अगर वश में न किया तो यह तुम्हें न इस लोक का छोड़ेगा और न ही उस लोक का।  

Niyati Bhandari

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