मिला प्रमाण- महाभारत काल में युधिष्ठिर ने दिए थे यक्ष के प्रश्नों के उत्तर

Friday, May 05, 2017 - 02:38 PM (IST)

महाभारत कालीन यक्ष-युधिष्ठिर संवाद स्थल अजगरा में कई हजार वर्ष ईसा पूर्व के विभिन्न जीवों के जीवाश्म मिलने से लोगों में कौतूहल मचा है।  उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर वाराणसी-लखनऊ राजमार्ग पर स्थित पौराणिक स्थल अजगरा में दो दिन पूर्व पांच से 10 हजार वर्ष ईसा पूर्व के जलचरों समेत विभिन्न जीवों के जीवाश्म मिले हैं। इलाहाबाद मण्डल के पुरातत्व अधिकारी डॉक्टर आर. एन. पाल ने इसकी पुष्टि की है। इससे पहले, यहां पर मानव, वृक्ष एवं पशुओं के जीवाश्म पहले भी मिल चुके हैं जिन्हें यहीं पर बनाए गए पुरातत्व एवं लोककला संग्रहालय में रखा गया है। 


देश के पहले ग्रामीण पुरातत्व संग्रहालय के संस्थापक राजेश कुमार पाण्डेय उर्फ निर्झर प्रतापगढ़ी ने आज संवाददाताओं को बताया कि मान्यताओं के अनुसार वनवास के अंतिम समय यहां स्थित सरोवर के किनारे यक्ष और युधिष्ठिर में संवाद हुआ था, जिसका प्रमाण यहां पर मिले द्वितीय एवं तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व के ब्राह्मी लिपि के प्रस्तर लेखों से मिलता है, जिसमें सरोवर के जल की महत्ता और पांडवों के नाम का उल्लेख किया गया है।  


श्री पाण्डेय ने बताया कि इस घटना से जुड़े ब्राह्मी लिपि के पांडवों से संबंधित विश्व में अब तक पाए जाने वालों में यह पहला प्रमाण है।  गौरतलब है कि यहां जीवश्म मिलने का सिलिसला चलता चला आ रहा है। अजगरा के पास महुआवन क्षेत्र में लोनी नदी के किनारे कुछ दिनों पहले टीले के समतलीकरण के दौरान मगरमच्छ के गर्दन से मुख तक के हजारों वर्ष पुराने जीवाश्म को देख मजदूर दंग रह गए। इसकी जानकारी पर पुरातत्व खोजी साहित्यकार निर्झर प्रतापगढ़ी वहां पहुंचे और उसे संग्रहालय ले गए। ये जीवाश्म पत्थर के हो चुके थे, जिससे अनुमान है कि कम से कम दस हजार वर्ष पुराने हो सकते हैं। इसके पहले भी अजगरा क्षेत्र में वृक्ष, मछली, मेढक और पक्षियों के जीवाश्म मिल चुके हैं। इन जीवाश्मों को देखने के लिए अजगरा में स्थापित देश के पहले ग्रामीण पुरातत्व संग्रहालय में पहुंच रहे हैं।

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