Mahabharat Katha: जुए के मैदान की वह एक भूल, जिसने द्रौपदी चीरहरण जैसी त्रासदी को जन्म दिया

punjabkesari.in Saturday, Nov 15, 2025 - 12:14 PM (IST)

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Mahabharat Katha: महाभारत में शकुनी को सबसे चतुर और धूर्त पात्रों में गिना जाता है। कहा जाता है कि चौसर का खेल शकुनी के लिए किसी हथियार से कम नहीं था  क्योंकि उनके पासे साधारण नहीं थे, वे उनके पिता की हड्डियों से बने जादुई पासे थे, जो उनके मन के अनुरूप चलते थे। इसी कारण शकुनी को शतरंज या द्यूत में हराना लगभग असंभव था।

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लेकिन फिर भी एक व्यक्ति ऐसा था जो शकुनी की पूरी कुटिलता पर भारी पड़ सकता था—भगवान श्रीकृष्ण। यदि कृष्ण उस दिन पांडवों की ओर से पासा फेंकते, तो शकुनी की सारी चालें धरी की धरी रह जातीं और द्रौपदी चीरहरण जैसी घटना कभी न होती।

क्यों नहीं आए कृष्ण द्यूत भवन में ?
कथा के अनुसार, पांडवों ने जुए में भाग लेते समय कृष्ण को मन ही मन यह इच्छा भेज दी कि वे द्यूत भवन में न आएँ। पांडव जानते थे कि यह खेल ठीक नहीं, इसलिए वे कृष्ण को इसमें शामिल नहीं करना चाहते थे।

कृष्ण बाद में उद्धव को बताते हैं कि—
“मैं बाहर ही खड़ा रहा, क्योंकि उन्होंने स्वयं मुझे अंदर न आने की मनोकामना की थी।”

युधिष्ठिर भी एक घोर भूल कर बैठते हैं। जब दुर्योधन कहता है कि उसकी ओर से शकुनी पासा चलाएगा, तो युधिष्ठिर चाहें तो यह शर्त रख सकते थे कि पांडवों की ओर से कृष्ण पासा चलाएंगे। यदि ऐसा होता, तो शकुनी की एक भी चाल चल न पाती। मगर युधिष्ठिर मोह और धर्म-संकट में निर्णय नहीं ले पाए और पांडव जुए में सब कुछ खो बैठे- राज्य, संपत्ति और अंततः द्रौपदी।

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द्रौपदी चीरहरण-

जुए में द्रौपदी को हार जाने के बाद दुर्योधन ने दुशासन को आदेश दिया कि द्रौपदी को बाल पकड़कर सभा में लाया जाए। पांडव अपराधबोध और विवशता में चुप बैठे रहे, जबकि द्रौपदी उनसे रक्षा की उम्मीद कर रही थी।

जब दुशासन ने चीरहरण शुरू किया, तब द्रौपदी समझ गई कि उसकी रक्षा कोई मानव नहीं कर सकता। उसने पूर्ण समर्पण के साथ कृष्ण को पुकारा, और उसी क्षण कृष्ण तुरंत उपस्थित हो गए। उनके दिव्य हस्तक्षेप से द्रौपदी की लाज सुरक्षित रही और दुशासन थकता गया पर चीर बढ़ता ही गया।

कृष्ण ने बाद में उद्धव से कहा- 
“मैं हर समय तैयार रहता हूं, पर तब तक नहीं आता जब तक कोई मुझे सच्चे मन से पुकार न ले। जब मनुष्य अहंकार छोड़कर पूर्ण विश्वास से मेरी ओर देखता है, तब मैं उसकी रक्षा अवश्य करता हूं।”

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Content Editor

Prachi Sharma