Mahabalipuram: प्राचीन मंदिरों की नगरी महाबलीपुरम

Thursday, Feb 02, 2023 - 09:32 AM (IST)

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Mahabalipuram in Tamil Nadu: चेन्नई से 55 कि.मी. दूर महाबलीपुरम स्थित है, जिसे मामल्लपुरम भी कहते हैं। यहां की चट्टानों पर की गई नक्काशी, मूर्तियों और प्राचीन मंदिरों के कारण प्राचीन शहर महाबलीपुरम आज तमिलनाडु के सबसे लोकप्रिय और खूबसूरत शहरों में से एक माना जाता है। महाबलीपुरम को अपने कई मंदिरों की वजह से 1984 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल का भी दर्जा दिया गया, जिन्हें 7वीं और 8वीं शताब्दी के दौरान कोरोमंडल तट पर चट्टानों से उकेरा गया था।



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अपने जटिल नक्काशीदार मंदिरों और पत्थरों को काट कर बनाई गई गुफाओं के लिए प्रसिद्ध, ममल्लापुरम या महाबलीपुरम, तमिलनाडु राज्य में बंगाल की खाड़ी के साथ कोरोमंडल तट पर स्थित एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। पुरातत्व की दृष्टि से देखा जाए तो, प्राचीन खंडहरों की खुदाई से इसकी प्रसिद्धि और पुन: खोज हुई है। यहां के कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में पंच रथ, शोर मंदिर, गणेश मंदिर आदि शामिल हैं।

Shore Temple शोर मंदिर  
7वीं शताब्दी के दौरान निर्मित यह मंदिर द्रविड़ शैली में निर्मित सबसे पुराने दक्षिण भारतीय मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में आप पल्लव वंश की कलाकारी को भी देख सकते हैं। शोर मंदिर में विष्णु मंदिर भी शामिल है, जिसका निर्माण भगवान शिव के दो मंदिरों के बीच करवाया गया है।

यह मंदिर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है, जहां पर्यटकों को सबसे ज्यादा देखा जा सकता है। इस मंदिर की खूबसूरती को देख पर्यटक सबसे ज्यादा यहीं पर फोटो खिचवाने आते हैं। इस मंदिर के दर्शन आप सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे के बीच कर सकते हैं। भारतियों के लिए यहां जाने की फीस 5 रुपए और विदेशियों के लिए 250 रुपए है।



Ganesha Ratha mandir गणेश रथ मंदिर  
गणेश रथ मंदिर पल्लव वंश द्वारा निर्मित किया गया एक भव्य मंदिर है। इस मंदिर की संरचना द्रविड़ शैली में की गई है। प्रारंभ में, यह भगवान शिव को समर्पित था और परिसर में एक शिवलिंग रखा गया था, लेकिन बाद में लिंग को हटा दिया गया था और अब यहां भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस मंदिर को एक चट्टान पर उकेरा गया है, जिसकी आकृति आपको एक रथ जैसी दिखाई देगी। इस मंदिर को आप सुबह 6 बजे से 12 बजे के बीच देख सकते हैं और दोपहर 3 बजे से रात 8 बजे के बीच भी यह मंदिर खुला रहता है।

Varaha Cave Temple वराह गुफा मंदिर  
वराह गुफा मंदिर महाबलीपुरम में स्थित एक उत्कृष्ट रॉक-कट हिंदू मंदिर है। यहां की गुफा भी 7वीं शताब्दी के दौरान की है, जिनका निर्माण ग्रेनाइट पहाड़ी की चट्टानों की दीवारों पर किया गया है। नरसिंहवर्मन प्रथम महामल्ल के शासनकाल के दौरान बनाया गया, यह मंदिर पल्लव कला के सबसे महान उदाहरणों में से एक है। इसमें भगवान विष्णु की उनके वराह रूप में एक प्रतिमा है, साथ ही इसमें भूदेवी के साथ मूर्ती भी बनी हुई है। इस मंदिर के दर्शन आप सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच कर सकते हैं।

Sthalasayana Perumal Temple स्थलसायन पेरुमल मंदिर  
द्रविड़ शैली में निर्मित, स्थलसायन पेरुमल मंदिर, जिसे थिरुकदलमल्लई भी कहा जाता है, भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्यदेशम में से एक है। उन्हें यहां स्थलसयन पेरुमल के रूप में उनकी पत्नी लक्ष्मी नीलामंगई थायर के साथ पूजा जाता है। भूततझवार अवतार उत्सव का वार्षिक उत्सव तमिल महीने एपिसी (अक्तूबर-नव बर) के दौरान यहां मनाया जाता है। इस मंदिर के दर्शन सुबह 6 बजे से 12 बजे के बीच और दोपहर 3 बजे से 8.30 बजे के बीच है।

Olakkannesvara Temple ओलक्कनेश्वर मंदिर  
ओलक्कनेश्वर मंदिर, जिसे ओल्ड लाइटहाऊस के नाम से भी जाना जाता है, 8वीं शताब्दी में निर्मित एक संरचनात्मक मंदिर है। इस मंदिर को ग्रे-सफेद ग्रेनाइट से बनाया गया है। ये मंदिर पहाड़ी पर स्थित होने की वजह से यहां से आप शहर का मनोरम दृश्य भी देख सकते हैं। ओलक्कनेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है लेकिन 19वीं शताब्दी के बाद से यहां पूजा-पाठ करना बंद कर दिया गया है। इस मंदिर को आप सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच देख सकते हैं।



Shri karukatha man mandir श्री करुकाथ मन मंदिर  
श्री करुकाथ मन मंदिर चेन्नई को पांडिचेरी से जोड़ने वाले ईस्ट कोस्ट रोड पर स्थित मां अ मन को समर्पित है। मां अ मन सुखासन की स्थिति में बैठी हुई हैं। मंदिर का आंतरिक भाग बेहद रंग-बिरंगा है, जिसमें कई अन्य उत्तम मूर्तियां स्थापित हैं। ऐसा माना जाता है कि एक बार एक महिला को उसके पूर्वजों ने शाप दिया था, जिसमें उसे बच्चा पैदा करने की इजाजत नहीं थी लेकिन अ मान के आशीर्वाद से उसने एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया। संतान प्राप्ति और पारिवारिक समृद्धि के मंदिर के रूप में, कई लोग मां अ मान का आशीर्वाद लेने आते हैं।

Mukunda Nayanar Temple Mahabalipuram मुकुंद नयनार मंदिर  
महाबलीपुरम शहर के पास स्थित मुकुंद नयनार मंदिर, एक ऐसा मंदिर है जिसे सालुवनकुप्पम की खुदाई के दौरान खोजा गया था। 12 फुट रेत के नीचे दफन पाया गया यह छोटा मंदिर वास्तुशिल्प रूप से धर्मराज रथ के रूप के समान है। इस प्रकार यह माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजसिंह पल्लव के शासनकाल में हुआ था। मुकुंद नयनार पूर्व की ओर दो मंजिला मंदिर है और इसमें एक अर्ध-मंतप है जो दो गोलाकार स्तंभों पर खड़ा है। खंभों के ऊपर छोटे-छोटे मंदिरों का समूह रखा गया है। इस मंदिर के दर्शन आप सुबह 6 से शाम 6 बजे के बीच कर सकते हैं।

How to reach कैसे पहुंचें : चेन्नई में विभिन्न स्टैंड जैसे सी.एम.बी.टी., टी.नगर, तांबरम आदि जगहों से नियमित बसें उपलब्ध हैं और स्थानीय ट्रेनें भी चलती हैं।

 

Niyati Bhandari

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