ज्ञान महाकुंभ में भारतीय शिक्षा पर जोर, 10 हजार छात्रों, शिक्षाविदों और आचार्यों ने लिया भाग

punjabkesari.in Friday, Feb 14, 2025 - 07:25 AM (IST)

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नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): भारतीय ज्ञान परंपरा को  फिर से जगाने के उद्देश्य से आयोजित ‘ज्ञान महाकुंभ’ में शिक्षा और संस्कृति के उत्थान पर जोर दिया गया। वीरवार को इस आयोजन के समापन सत्र में इसरो अध्यक्ष वी. नारायण, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। 

ज्ञान महाकुंभ में में 10,000 से अधिक छात्रों, शिक्षाविदों और आचार्यों ने भाग लिया और भारतीय शिक्षा को नई दिशा देने के संकल्प लिया। इसरो के वी नारायण ने कहा कि अंग्रेजों के आने के बाद भारत में शिक्षा का स्तर बढ़ा,  इस कथन को मैं सिरे से नकारता हूँ। उनका कहना था कि भारतीय ज्ञान और संस्कृति उत्कृष्ट थी और इसे आक्रांताओं ने आहत किया। लेकिन आज हम सभी का कर्तव्य बनता है कि देश के प्राचीन ज्ञान और संस्कृति के आधार पर इसे विकसित राष्ट्र बनाएं। भारत आज सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। आर.एस.एस के  दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत में समस्याओं की कमी नहीं है, लेकिन समस्याओं की ही चर्चा करते रहे तो देश आगे बढ़ ही नहीं सकता। यही कारण है कि शिक्षा संस्कृति उत्थान क्षण संस्था संचालित करने वालों को भी आवश्यक परिवर्तन की भूमिका से परिचित कराया और इस दृष्टि से शैक्षिक संस्थान चलाने के लिए प्रेरित किया। 

डॉ. अतुल कोठारी ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को पुनः भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने ‘भारत’ शब्द की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हुए कहा कि “इंडिया” केवल नाम तक सीमित है, जबकि “भारत” हमारे लिए एक भावना और हमारे पूर्वजों की विरासत है। इस आयोजन में भारत को “इंडिया” नहीं, बल्कि “भारत” कहे जाने के समर्थन में 10 लाख से अधिक हस्ताक्षर जुटाए जाने का लक्ष्य रखा गया है।


 


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Content Editor

Prachi Sharma

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