इस दिन हुआ था कलयुग का आरंभ, जानें क्या है इसका महत्व

Wednesday, Feb 17, 2021 - 04:26 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
ज्योतिष और धार्मिक शास्त्रों में माघ का महीना बहुत ही पावन माना जाता है। इसलिए इस मास का एक-एक दिन भी खास कहलाता है। जिनमें से सबसे अधिक महत्वपूर्ण इस मास में आने वाली पूर्णिमा मानी जाती हैं। पौराणिक ग्रंथों में माघ पूर्णिमा से जुड़ी कथाएं मिलती हैं, जिसके अनुसार इस खास दिन देवता अपना रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए प्रयागराज आते हैं। यही कारण हैं कि इस दिन लोग दूर दूर से प्रयागराज में स्नान आदि के लिए आते हैं। जो श्रद्धालु प्रयागराज में एक महीने तक कल्पवास करते हैं उसका समापन माघ पूर्णिमा के दिन ही किया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु मां गंगा की पूजा-अर्चना कर साधु, संत और ब्राह्मणों को सत्कारपूर्वक भोजन करवाते हैं।

बता दें 27 फरवरी को इस वर्ष की माघ पूर्णिमा मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से जातक के शारीरिक रोग दूर होते है साथ ही साथ गंगा स्नान से सारे पाप धुल जाते हैं। जिस कारण माघी पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। ज्योतिष विशेषज्ञ कहते हैं इस दिन चंद्रमा देवता भी अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होते हैं।

माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त-
26 फरवरी को शुक्रवार की शाम 03 बजकर 49 मिनट से
27 फरवरी शनिवार दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक।

माघ पूर्णिमा का महत्व-
कथाओं के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन इस श्री हरि विष्णु और हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति व्रत आदि  तथा चंद्रमा की पूजा भी करता है उसको मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।  

माघी पूर्णिमा को हुई थी कलयुग की शुरुआत-
धार्मिक वर्णन है माघ पूर्णिमा के दिन से ही कलयुग की शुरुआत हुई थी। इसके अलावा महीने भर से चल रहा कल्पवास भी इसी दिन संपन्न होता है। जिसके उपलक्ष्य में पूरे माघ में श्रद्धालु नदी के तट पर कल्पवास और तप करते हैं।

 

Jyoti

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