Magh Purnima 2020: इस खास दिन पर जरूर करें गंगा स्नान
Friday, Feb 07, 2020 - 12:23 PM (IST)
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माघ महीने की महत्वता का उल्लेख पुराणों में भी बहुत अधिक बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई व्यक्ति पूरे महीने में गंगा स्नान करता है, उसके सारे पाप धूल जाते हैं व उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। जहां इस पूरे माह की इतनी विशेषता है तो वहीं इस महीने में आने वाले हर व्रत व त्योहार की अपनी अलग खासियत होती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं, माघ पूर्णिमा की, जोकि इस साल 09 फरवरी दिन रविवार को मनाई जा रही है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस खास दिन देवता अपना रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए प्रयागराज आते हैं। जो श्रद्धालु प्रयागराज में एक महीने तक कल्पवास करते हैं उसका समापन माघ पूर्णिमा के दिन ही होता है। कल्पवास करने वाले सभी श्रद्धालु माघ पूर्णिमा पर मां गंगा की पूजा-अर्चना कर साधू, संतों और ब्राह्मणों को आदर से भोजन कराते हैं। आइए जानते हैं इस दिन के बारे में ओर क्या हैं मान्यताएं।
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पौराणिक कथाओं के मुताबिक माघ पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में वास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। इस मौके पर देश के तमाम तालाबों और नदियों को लोग आस्था की डुबकी लगाएंगे। पद्म पुराण के अनुसार भक्त अगर माघ पूर्णिमा स्नान के बाद ध्यान और जप-तप से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। गंगा स्नान करने से नरक से मुक्ति और बैकुंठ की प्राप्ति होती है। इस दिन दान पुर्ण्य का बड़ा महत्व माना जाता है। गोदान, तिल, गुड़ व कंबल का विशेष महत्व है। बेहतर होगा कि आप गरीबी और ब्राह्मणों को दान दें और भोजन कराएं। आप वस्त्र, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न आदि चीजों का दान कर सकते हैं।
माघी पूर्णिमा पर शीतल जल गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति पापमुक्त होकर स्वर्ग लोक को प्राप्ति होती है। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार माघी पूर्णिमा पर स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति करा सकता है। पूर्णिमा को भगवान विष्णु की पूजा करने से सौभाग्य और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
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इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस दिन से ही कलयुग की भी शुरुआत हुई थी। महीने भर से चल रहा कल्पवास भी इसी दिन संपन्न होता है। पूरे माघ में श्रद्धालु नदी के तट पर कल्पवास व तप करते हैं। ब्रह्म वैवर्त्य पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा के मुहूर्त में स्नान करने से ब्रह्मलोक और बैकुंठ की प्राप्ति होती है।