Magh Gupt Navratri: आज माघ गुप्त नवरात्र पर बन रहे हैं कई शुभ योग, गृहस्थ करें सात्विक पूजा

Saturday, Feb 10, 2024 - 11:56 AM (IST)

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Magh Gupt Navratri 2024: आज 10 फरवरी से माघ गुप्त नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। देवी के भक्तों को बड़ी शिद्दत से नवरात्रों का इंतजार रहता है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में कुल चार प्रकार के नवरात्रों वर्णन है। शरद नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि, माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि। साल की दो नवरात्रि को ही अधिकांश लोग जानते हैं, जो चैत्र और शारदीय नवरात्र कहलाते हैं। वहीं इन दो नवरात्र के अलावा भी दो नवरात्र होते है, जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। यह गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ मास में आते हैं। माघ महीने में पड़ने के कारण इन नवरात्र को माघी नवरात्र भी कहा जाता है।

गुप्त नवरात्रि की पूजा के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों के साथ-साथ दस महाविद्ययाओं की भी पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान मां की आराधना गुप्त रुप से की जाती है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रों के साधना काल में मां शक्ति का जप, तप, अनुष्ठान, ध्यान आदि गुप्त तरीके से करने पर जीवन में आ रही सभी बाधाएं खत्म होने लगती हैं।

इस साल माघ मास की गुप्त नवरात्रि शनिवार 10 फरवरी से शुरू हो गए हैं। वहीं इस दिन रवियोग और सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहे हैं। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। 18 फरवरी, रविवार के दिन गुप्त नवरात्रि का समापन होगा।

गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं (मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी) की साधना की जाती है।

नवरात्रि के प्रथम दिन ईशान कोण में शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया जाता है।
कलश स्थापना का मुहूर्त:
10 फरवरी को सुबह 08 बजकर 44 मिनट से सुबह 10 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
और अभिजीत मुहूर्त : 10 फरवरी, दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक है।

गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए व तंत्र साधना के लिए मनाया जाता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा को जितना गुप्त रखा जाता है, फल उतना ही ज्यादा मिलता है। जो साधक तंत्र-मंत्र की सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए गुप्त नवरात्रि के दिन बेहद खास होते हैं। इनमें वे साधक गुप्त स्थान पर रहते हुए दस महाविद्याओं की साधना में लीन रहते हैं।
    
गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रियों से भी अधिक है क्योंकि इनमें देवी अपने पूर्ण स्वरूप में विद्यमान रहती हैं जो प्रकट रूप में नहीं होता है। गुप्त नवरात्रियों में देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं लेकिन इसमें सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण बात यह है कि साधकों को पूर्ण संयम और शुद्धता से देवी आराधना करनी होती हैं।

गुप्त नवरात्र में साधक सन्यासी, सिद्धि प्राप्त करने वाले, तांत्रिक-मांत्रिक देवी की उपासना करते हैं एवं देवी की दस महाविधाओं की पूजा की जाती है, जिनका तंत्र शक्तियों और सिद्धियों में विशेष महत्व है। इन 10 महाविद्याओं को 10 माता के रूप में जाना जाता है। इनके नाम है- काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला।

तंत्र साधना के लिए भी गुप्त नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। नौ दिन तक अघोरी और तांत्रिक दुलर्भ सिद्धियां प्राप्त करने के लिए गोपनीय तरीके से इन दस शक्तियों की आराधना करते हैं।

गुप्त नवरात्रि को खासतौर पर विशेष मनोकामना पूर्ति और सिद्धियां पाने के लिए मनाई जाती हैं। गृहस्थ जीवन वालों को इस नवरात्रि में देवी की सात्विक पूजा ही करनी चाहिए।
      
गुरमीत बेदी
9418033344

Niyati Bhandari

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