गणेश उत्सव में दिखी मंदी की मार, परेशान हैं मूर्तिकार

Tuesday, Sep 03, 2019 - 03:43 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
जैसे कि सब जानते हैं कि हर तरफ़ गणेश उत्सव की धूम देखने को मिल रही है। हर तरफ़ बस गणपति की धूम और उनको लेकर जाने वाले सुंदर काफ़िला नज़र आता है जो अनंत चतुर्दशी तक यूं ही देखने को मिलेंगे। लेकिन उत्साह के इस पर्व में इस बार मंदी की मार देखने को भी मिल रही है। कहने का मतलब है इस बार इस पर मंदी की आहट को साफ़ तौर पर देखा जा सकता है।

भगवान गणेश की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों से लेकर पूजा के लिए भव्य पंडाल का निर्माण कराने वाले आयोजक तक, सभी परेशान हैं। बता दें भोपाल में लगभग 25 साल से भगवान गणेश की मूर्तियां बना रहे मदन प्रजापति ने इस साल करीब केवल 80 मूर्तियां तैयार की हैं।

इस बार कम है मूर्तियों की मांग
बताया जा रहा है कि मंदी की ये आहट अपने साथ इस बार गणेश उत्सव में थोड़ी मुश्किलें लेकर आई है। कहा जा रहा है मंदी के चलते इस बार मूर्तियों की मांग कम पहले से कम है। इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है कई ऐसे लोग  जो पिछले साल तक मूर्तियां ले जा रहे थे वह इस बार कम चंदे की बात करते हुए मूर्ति लेने आए ही नहीं।

चंदे की कमी से जूझ रहीं समितियां
मंदी के कारण मूर्तियों की कम मांग से जूझ रहे मूर्तिकार मदन अकेले नहीं। मूर्ति बनाने वाले अन्य मूर्तिकारों के साथ ही पूजा को भव्यता प्रदान करने के लिए काफी समय पहले से तैयारियों में जुट जाने वाली पूजा समितियां भी संकट का सामना कर रही हैं। यह संकट है चंदे में आई कमी का। इसके अलावा चंदे का संकट उन बड़े गणेश पांडाल लगाने वाले आयोजकों के सामने भी है जो इस बार प्रायोजकों के सामने न आने से परेशान हैं। राजधानी भोपाल के न्यू मार्केट इलाके की मशहूर गणेश पूजा समिति के लोगों की मानें तो पिछले साल के मुकाबले इस बार उन्हें चंदा इकट्ठा करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ी। कहा जा रहा है कि इस साल चंदे के लिए नई जगहों पर भी जाना पड़ा और स्पॉन्सर के लिए पहले से ज्यादा मेहनत करनी पड़ी। हालांकि अभी भी लोगों को विश्वास है कि अभी और स्पॉन्सर आएंगे और आयोजन हर साल की तरह इस साल भी भव्य रहेगा।

भोपाल में सजते हैं बप्पा के 20 बड़े पंडाल
बता दें मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रथम पूज्य भगवान गणेश के करीब 20 बड़े पूजा पंडाल सजते हैं। छोटे स्तर पर भी कई पंडालों में गणेश पूजन का आयोजन होता है। मंदी की आहट से इस बार न केवल भोपाल में इनकी संख्या में कमी आई है, बल्कि आयोजकों ने भी कई तरह के खर्चों में इस बार कटौती कर दी है।

Jyoti

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