इस गांव में बस एक ही भगवान है...दशानन! रावण को पूजे बिना नहीं कर सकते किसी की पूजा!

Tuesday, Nov 01, 2022 - 05:49 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हाल ही में कुछ दिन पहले देश के विभिन्न हिस्सों में दशहरा व दिवाली का पर्व मनाया गया। हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार ये दोनों पर्व श्री राम व रावण से जुड़े हुए हैं। देश के अलग-लअग कोने में इस दोनों त्यौहारों को धूम-धाम से मनाया जाता है। दशहरे की बात करें तो इस दिन से संबंधित पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दिन श्री राम ने लंकापति रावण का वध करके सीता माता के साथ-साथ उसकी पूरा राज्य को उससे मुक्त किया था। धार्मिक ग्रंथों को अर दृष्टि से देखा जाए तो इसमें जगह जगह किए उल्लेख के अनुसार रावण राक्षस था, जिसने अपनी शक्तियों के बल पर ग्रहों तक को अपने बस में कर रखा था। अब आप इतना तो समझ गए होंगे कि हम आपको इन्हीं से जुड़ी बातें बताने जा रहे हैं। तो आपको बता दें सही सोच रह हैं परंतु जो जानकारी हम आपको बताने जा रहे हैं उसके बारे में शायद आप में से कुछ ही लोग जानते होंगे। चलिए जानते हैं क्या है वो जानकारी- 


बताया जाता है मध्यप्रदेश के विदिशा में रावन नामक एक ऐसा गांव है, जहां पर रावण को भगवान की तरह पूजा जाता है। यहां न तो रावण की आज्ञा के बगैर कोई शुभ कार्य होता है और न ही रावण को पूजे बिना किसी और भगवान की पूजा। अगर कोई रावण को छोड़कर किसी और भगवान को पूजने की सोच भी लेता है उसे इसका बहुत भयंकर अंजाम झेलना पड़ता है। वैसे सिर्फ डर ही नहीं, बल्कि लंकापति के साथ इस गांव की आस्था भी जुड़ गई है। रावण नाम के इस गांव में युवा अपने हाथों पर जहां जय लंकेश का टैटू गुदवा कर रखते हैं। तो लोगों के वाहनों पर भी सबसे ऊपर जय लंकेश ही लिखा होता है। 

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जानिए आखिर क्यों रावण के साथ इस गांव के लोगों की आस्था जुड़ गई है-
यहां के लोगों को मानना है कि इस गांव के साथ अच्छा बुरा सब कुछ रावण बाबा के हाथ में है। यहां विशाल मंदिर में विराजित रावण बाबा के दर पर लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं, और झोली भरकर जाते हैं। बाकायदा सुबह शाम गांव वाले मिलकर रावण बाबा की आरती भी करते हैं। मंदिर के पुजारी की मानें, तो रावण के बिना इस गांव की कल्पना भी नहीं कर सकते। मध्य प्रदेश के रावन गांव में रावण की विशालकाय प्रतिमा है, जहां मंदिर में रावण की लेटी हुई प्रतिमा है। इस गांव में लोग लंकापति रावण की पूजा करते है। हर कार्य की शुरुआत रावण की पूजा से ही होती है। इस गांव के लोग दशहरे को उत्सव के रूप में मनाते हैं। रावन गांव में ये वर्षों से चली आ रही परंपरा है, जहां रावण को पूजा जाता है।

 

Jyoti

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