Madho Rai ki Jaleb: कुछ ऐसी रहती है विश्व प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव माधोराय की जलेब की धूम

Friday, Mar 08, 2024 - 07:59 AM (IST)

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Madho Rai ki Jaleb 2024: हिमाचल प्रदेश के मंडी में महाशिवरात्रि का प्रमुख आकर्षण मेले के दौरान निकलने वाली शोभायात्रा होती है, जिसे ‘माधोराय की जलेब’ कहते हैं। 7 दिनों तक चलने वाले शिवरात्रि के त्यौहार में 200 से अधिक देवी-देवता दूर-दूर से आकर पड्डल मैदान में एकत्रित होते हैं।

इस मेले को अंतर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया है। इस बार यह 6 मार्च से आरंभ हो चुका है, जो 15 मार्च तक मनाया जाएगा। मंडी को ‘वाराणसी ऑफ हिल्स’ या ‘छोटी काशी’ भी कहा जाता है। माना जाता है कि पुरातन काल में बनारस में केवल 80 मंदिर थे, जबकि मंडी में 81 मंदिर थे।  


इस मेले के प्रारंभ के विषय में अनेक मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार मंडी के राजा शिवमान सिंह की मृत्यु के समय उसका बेटा ईश्वरी सेन केवल 5 वर्ष का था। सन् 1788 में 5 वर्ष की आयु में ही ईश्वरी सेन को मंडी राज्य का राजा नियुक्त कर दिया गया। कांगड़ा के राजा संसार चंद ने इस बात का फायदा उठाया और मंडी पर आक्रमण कर दिया और ईश्वरी सेन को 12 वर्ष तक नादौन में बंदी बना कर रखा।

सन् 1806 में गोरखों ने ईश्वरी सेन को आजाद करवाया। कहा जाता है कि वह शिवरात्रि के कुछ दिन पहले ही लंबी कैद से मुक्त होकर मंडी लौटे थे। इसी खुशी में ग्रामीण भी अपने देवताओं को राजा से मिलाने के लिए मंडी नगर की ओर चल पड़े। राजा व प्रजा ने मिलकर यह जश्न मेले के रूप में मनाया।  महाशिवरात्रि का पर्व भी इन्हीं दिनों था और इस तरह से शिवरात्रि पर हर वर्ष मेले की परम्परा शुरू हो गई। यह भी कहा जाता है कि मंडी के पहले राजा बाणसेन शिव भक्त थे, जिन्होंने अपने समय में शिव महोत्सव मनाया था।

राजा अजबर सेन ने 1527 में मंडी कस्बे की स्थापना की और भूतनाथ में मंदिर निर्माण के साथ-साथ शिवोत्सव मनाया। उनके समय यह उत्सव एक या दो दिन ही मनाया जाता था, परंतु राजा सूरज सेन (1664-1679) के समय इस उत्सव को नया आयाम मिला।     

Niyati Bhandari

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