चंद्रग्रहण के साथ-साथ आज मनाया जाएगा ये पर्व, जानिए इसकी खासियत

Sunday, Jul 05, 2020 - 10:47 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हर किसी के जीवन में गुरु की अहम जगह होती है। अगर धार्मिक शास्त्रों की बात करें तो इसमें बताया गया है कि गुरु ही भगवान का मार्ग दिखाते हैं। आज 5 जुलाई 2020 तिथि आषाढ़ी पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। भारत में इस दिन को बहुत ही श्रद्धा-भाव से मनाने की परंपरा कई वर्षों से निभाई जा रही है। कहा जाता है गुरु के बिना व्यक्ति के जीवन में हमेशा ज्ञान का अंधकार ही रहता है। जिस जातक के जीवन पर गुरु का साया नहीं होता वो अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता। बता दें हर वर्ष इस दिन यानि आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी खास बातें- 

कैसे शुरु हुआ आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा उत्सव
शास्त्रों के मुताबिक महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म आषाढ़ की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। जिन्हें मान्यताओं के अनुसार आदिगुरु के नाम से भी जाता है। इन्हीं के जन्म दिवस को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। 

धार्मिक ग्रंथों मे इनते बारे में जो उल्लेख मिलता है उसके मुताबिक कृष्ण द्वैपायन व्यास यानि महर्षि वेद व्यास संस्कृत के महान विद्वानों मे से एक थे। कहा जाता है हिंदू धर्म में 18 पुराण ऐसे हैं, जिनके रचयिता महर्षि वेदव्यास ही हैं। हिंदू धर्म के चार प्रमुख वेदों का भी विभाजित करने वाला कोई और नही महर्षि वेद व्यास ही थे। जिस कारण इनका नाम वेद व्यास पड़ा।

इसलिए ज़रूरी है जीवन पर गुरु का साया-
कहा जाता है जिस व्यक्ति के पास अपने जीवन में अपने गुरु का मार्गदर्शन होता है, वो कठिन से कठिन परिस्थिति से बाहर निकल जाता है। यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की विशेष पूजा की जाती है। 

Jyoti

Advertising