ऐसे पैदा होते हैं Lucky Baby, जानिए ज्योतिष का सबसे बड़ा राज़

Friday, Dec 15, 2023 - 06:38 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Lucky Baby Astrology: हर संतान का बर्थ चार्ट अलग होता है। जुड़वा बच्चों की कुंडलियों के केस में जो बच्चा पहले आ जाता है उसका लग्न पकड़ेंगे और उसकी जो चंद्र राशि है और वहां से आगे राशि निकालेंगे। 

लकी बेबी कैसे पैदा होते हैं 
मान लीजिये किसी महिला ने ऐसे समय में गर्भधारण किया है जब मां की अपनी कुंडली में षडाष्टक की दशा चल रही है। षडाष्टक जब होता है जब ग्रह 6 से 8 में आ जाते हैं। ये ग्रह भी मंगल शनि हो गए हैं। इसका असर बच्चे पर पड़ता है। लड़के की कुंडली में जन्म से 270 पहले मां-बाप में चार्ट में क्या दशा चल रही थी और लड़की की कुंडली में 240 दिन के आसपास। गर्भधारण करते समय मां को दशा का बेहद ध्यान रखना चाहिए। यदि आप भी फैमिली प्लानिंग करने का विचार बना रहे हैं तो ये सुनिश्चित जरूर करिए कि आपकी कुंडली में षडाष्टक की दशा तो नहीं चल रही या फिर कोई पाप ग्रह तो नहीं है। बहुत से केस ऐसे होते हैं जहां पर मिसकैरेज हो जाता है। कई बार कोई भी बीमारी न होते हुए भी गर्भ नहीं ठहर पाता ऐसा इसलिए होता है कि आपकी कुंडली में दशा सही नहीं चल रही है। बारहवां पंचम से अष्टम होता है। 

 संतान से ही सुख और संतान से ही दुख क्यों मिलता है ?
आपकी कुंडली में पंचम भाव दर्शाता है कि संतान से सुख मिलेगा या दुःख। मान लीजिये डिलीवरी के समय गुरु पाप कर्तरी योग में आ रहा है। इस दौरान डिलीवरी करना सही नहीं होता। ये सब चीजें पहले से ही फिक्स कर लेनी चाहिए। पंचमेश से आपका रिलेशन कैसा है। आपकी कुंडली में लग्न और पंचम का रिलेशन कैसा है इससे संतान के सुख का पता लगाया जा सकता है। 

गर्भधारण करने का सही समय क्या है ?
जब महिलाएं रजस्वला समय से गुजरती हैं तो उस दौरान गर्भधारण करने से परहेज करना चाहिए। देसी महीने की रिक्ता तिथि में भी ऐसा करना शुभ नहीं होता। श्राद्ध के समय भी ऐसा करने से बचना चाहिए। ऐसे समय में भी नहीं करना चाहिए जब कुंडली में षडाष्टक की दशा चल रही हो। मान लीजिए आप ऐसे समय में गर्भधारण कर रहे हैं जब मेष राशि अष्टम भाव में आ रही है तो उस समय में भी ऐसा करने से बचना चाहिए। चंद्र, शुरू, गुरु और बुध शुभ ग्रह हैं। गंड के 6 नक्षत्र छोड़ देने चाहिए। यदि समय का खास ध्यान रखा जाए तो बहुत परिणाम देखने को मिलते हैं। 

Why do we have to face miscarriage मिसकैरेज का सामना क्यों करना पड़ता है ?
कुंडली के पंचम भाव में अगर सूर्य आ जाए तो मैक्सिमम केस में मिसकैरेज हो जाता है। मान लीजिए सूर्य पंचम में और शनि तीसरे में पड़ा है। फीमेल चार्ट में मून वीक हो जाएगा। यदि मून पीड़ित है कुंडली में तो आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। पांचवें से पांचवां भाग्य स्थान से संतान देखी जाती है। चार्ट की दशा से ही इसका पता लगाया जा सकता है। 

ज्योतिष के अनुसार किस महीने किस चीज का ध्यान रखना चाहिए 
मेल चार्ट में लग्न, सप्तम, पंचम और गुरु बढ़िया होना चाहिए। शुक्र मेल में वीर्य का कारक होता है। उसकी प्रोटेक्शन शुक्र ही करता है। पहले महीने शुक्र का उपाय करना चाहिए। दूसरे महीने मंगल का उपाय करना चाहिए। तीसरे महीने गुरु का पूजन होना चाहिए। पांचवें महीने चन्द्रमा और छठे महीने शनि का उपाय करना चाहिए। उसके बाद बुध और चन्द्रमा का उपाय करना शुभ होता है। अगर ये उपाय किए जाए तो बहुत सारे केस में बचाव हो जाता है। गर्भधारण करने के बाद महिला को भगवद्गीता का अवश्य पाठ करना चाहिए। खान-पान का परहेज करें। 

ग्रहण के समय क्या ध्यान रखना चाहिए ?
सूर्य साल में दो बार राहु-केतु के प्रभाव में आ जाते हैं। ग्रहण कहां लग रहा है ये मैटर करता है। ग्रहण के दौरान सूर्य की रौशनी में जाने से बचना चाहिए। सूर्य ग्रहण का ज्यादा असर देखने को मिलता है। अंदर रहें और पूजा-पाठ करें। 
 


 

Prachi Sharma

Advertising