गलतियों को सुधारने के लिए प्रेम व अधिकार की आवश्यकता

Wednesday, Feb 07, 2018 - 10:10 AM (IST)

अपने स्वभाव से अलग जाने की कोशिश सारी चीजों में बिगाड़ पैदा करती है। एक फूल का स्वाभाविक गुण होता है कि वह खुशबू देता है। पेड़ का स्वभाव ही होता है कि वह सभी को हवा से आनंदित करता है। ये दोनों ही अपने वातावरण को खराब किए बिना अपना काम करते हैं बल्कि अपने वातावरण को अपने स्वभाव से बेहतर ही बनाते हैं। स्वाभाविक रहने का अर्थ है कि आपने स्वयं को, दूसरों को और आपके आसपास की सभी वस्तुओं को वे जैसी हैं वैसा ही स्वीकार किया है। आपने उसे बोझ के जैसे नहीं, परंतु समझ के साथ स्वीकार किया हैै। जब आप यह सोचते हैं या महसूस करते हैं कि यह ऐसा होना चाहिए या यह वैसा होना चाहिए तो फिर आप अपने सही स्वभाव में नहीं रहते, अपनी सीमाओं के सम्पर्क में आ जाते हैं। स्वाभाविक और सुखी नहीं रहने की सीमाएं।


जो भी गलती हो जाए उसके लिए आप अपने आप को पापी न समझें क्योंकि उस वर्तमान क्षण में आप फिर से नवीन, शुद्ध और स्पष्ट हो जाते हैं। भूतकाल की गलतियां भूतकाल है। जब यह ज्ञान मिल जाता है तो आप फिर से परिपूर्ण हो जाते हैं। कई बार मां अपने बच्चों पर नाराज होती है और उसके उपरांत अपने आप को दोषी समझती है। क्रोध सजगता की कमी के कारण आता है।


गलती करने से न डरें परंतु वही गलती दोबारा न करें। कई बार आप अपनी गलतियों को सुधारना चाहते हैं। जब आप दूसरों की गलतियां सुधारते हैं तो दो स्थितियां होती हैं। पहली, आप किसी की गलती सुधारते हो क्योंकि वह आपकी परेशानी का कारण होती है। दूसरी, जब आप किसी की गलती सुधारते हो तो वह सिर्फ उनके लिए होता है। इसलिए नहीं कि वह आपको परेशान करती है परंतु इसलिए ताकि उनका विकास हो सके।


गलतियों को सुधारने के लिए आपको अधिकार और प्रेम की आवश्यकता होती है। अधिकार और प्रेम एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। अधिकार के बिना प्रेम दम घुटने जैसा है। प्रेम के बिना अधिकार उथला है। जब आप गलतियों के लिए जगह देंगे तो आप दोनों अधिकारपूर्ण और प्यारे हो जाएंगे।

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