आप भी जानें कहां है मौज़ूद हैं देवों के देव महादेव के पदचिन्ह

Tuesday, Feb 09, 2021 - 04:54 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

सनातन धर्म के ग्रंथों में देवी देवताओं से जुड़े ऐसे कई रहस्य मिलते हैं जिनसे यह साबित होता है कि पृथ्वी पर आज भी इनके होने के कई प्रमाण हैं। भगवान शंकर को सनातन धर्म में त्रिदेव में से मुख्य माना जाता है, जो कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। संहार के देवता कहे जाने वाले भगवान शंकर अपने भक्तों को हर तरह की मुसीबत से बचाते हैं तथा अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं आज हम आपको इनसे जुड़े कुछ ऐसे स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर भगवान शंकर के पद पर आज भी मौजूद है जी हां धार्मिक मान्यताएं हैं कि भगवान शंकर अकाश मार के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमित भ्रमण करते हैं। इसका सबूत देते हैं भगवान शंकर के पैरों के निशान जो आज भी कई जगहों पर मौजूद हैं।

चलिए जानते हैं कौन कौन सी है वो जगहें-
देवभूमि कही जाने वाले उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से केवल 36 किलोमीटर की दूरी पर जागेश्वर नामक पहाड़ी स्थित है। यहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार पहाड़ी पर जंगल में 4 किलोमीटर चलने पर एक ऐसा स्थान आता है जहां पर भगवान शंकर के पैरों के निशान दिखाई देते हैं। इस जगह से जुड़ी धार्मिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे तो उन्हें भगवान शंकर के दर्शन की इच्छा हुई। भगवान शंकर उस समय कैलाश पर्वत पर जाना चाहते थे इसलिए वह पांडवों को चकमा देकर पर्वत चले गए। ऐसा कहा जाता है कि जहां से भगवान शंकर ने कैलाश पर्वत जाने के लिए प्रस्थान किया था, यह वही स्थान है जहां आज भी उनके पैरों के निशान देखने को मिलते हैं।

भारत के तमिलनाडु प्रदेश के थिरुवेंगडू में एक श्रीस्वेदारण्येश्वर का मंदिर स्थित है जहां भगवान शंकर के पैरों के निशान हैं। जिन्हें 'रूद्र पदम' के नाम से जाना जाता है।


असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित एक मंदिर में भगवान शंकर के दाएं पैर का निशान है। जिस कारण इस मंदिर को रूद्र पद मंदिर के नाम से जाना जाता है।


इन सबके अलावा झारखंड के रांची में रांची हिल नामक एक पहाड़ी है, जहां भगवान शंकर का प्राचीन मंदिर स्थित है। इस प्राचीन मंदिर को नाग मंदिर के नाम से भी जाना जाता है कहा जाता है कि यहां पर भगवान शंकर के पैरों के निशान आज भी मौजूद है जिस कारण यह मंदिर देशभर में अधिक प्रसिद्ध है लोक मान्यताओं के अनुसार श्रावण के महीने में एक नाग पूरा मास मंदिर में ही रहता है।
 

Jyoti

Advertising