भगवान का भोग कितनी देर रखना शुभ? जानें सही परंपरा

punjabkesari.in Saturday, Nov 15, 2025 - 12:29 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Lord Offering Duration: सनातन धर्म में प्रतिदिन पूजा करना अनिवार्य माना जाता है। आमतौर पर घरों में सुबह और शाम दोनों समय पूजा की जाती है। कहा जाता है जिस घर में रोजाना भगवान की पूजा अर्चना होती है वहां सुख-समृद्धि का वास होता है। मान्यता है कि देवी-देवताओं की आराधना हमेशा संपूर्ण विधि से करनी चाहिए। इससे मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं। शास्त्रों में पूजा-पाठ से जुड़े सभी नियमों का उल्लेख है। इन नियमों के आधार पर ईश्वर की उपासना करने से मानसिक शांति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार, पूजा में जहां दीप प्रज्वलित करने का विधान है, वहीं देवताओं को भोग लगाना भी शुभ होता है। कहते हैं कि पूजा के बाद भगवान को भोग लगाने से वह जल्दी प्रसन्न होते हैं। परंतु बहुत से लोग इस चीज को लेकर Confuse रहते हैं कि भगवान को लगाया भोग कितने समय तक उनके सामने रखना चाहिए। तो आइए जानते हैं कि पूजा में लगाया गया भोग भगवान के समक्ष कितनी देर रखना चाहिए ? 

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान को भोग लगाने के बाद उस प्रसाद को 5 से 10 मिनट की अवधि के अंतराल में ही हटा लेना चाहिए। कहते हैं कि अगर भोग लंबे समय तक मंदिर में रखा जाए तो इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती हैं। इसलिए इसे जल्द ही हटा देना चाहिए।

मान्यताओं के अनुसार भगवान को लगाए गए भोग को हमेशा प्रसाद के रूप में स्वयं ग्रहण करना चाहिए। इसके अलावा भगवान को भोग लगाते समय इन बातों का भी ज़रूर ध्यान रखें।

भगवान को भोग लगाने से पहले हमेशा स्नान करें। इसके बाद ही भोग व पूजा पाठ से जुड़े कार्य करने चाहिए। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान को हमेशा सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं। प्रसाद को कभी भी जमीन पर न चढ़ाएं।

माना जाता है कि देवी-देवताओं को हमेशा सोना-चांदी मिट्टी या लकड़ी के बर्तनों में ही भोग लगाना चाहिए।

कभी भी एल्यूमिनियम, लोहे, स्टील या प्लास्टिक से बने बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भोग लगाने के बाद उसे तुरंत न हटाएं, कुछ देर मंदिर में ही रखा रहने दें। यदि आप इन नियमों की अनदेखी करते हैं तो इससे आपको भोजन चढ़ाने का लाभ नहीं मिलता।

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 भगवान को भोग लगाते समय मंत्र का जाप ज़रूर करना चाहिए इससे पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

कहा जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण के बिना भोग स्वीकार नहीं होता। लेकिन यदि आप इस मंत्र का उच्चारण नहीं कर पाते तो आप भोग लगाने से पहले भगवान को स्मरण कर उन्हें बुलाएं।

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Content Editor

Sarita Thapa