धन त्रयोदशी: इस स्त्रोत का पाठ दिलाएगा सपंदा के साथ सुंदरता का वरदान

Wednesday, Oct 23, 2019 - 02:21 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ 
इस साल 2019 के कार्तिक माह की द्वादशी तिथि यानि 25 अक्टूबर को धनतेर का पर्व मनाया जाएगा। इसके ठीक दो दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है। दिवाली पर देवी लक्ष्मी व गणेश जी का पूजन होता है, ये तो सब जानते हैं परंतु धनतेरस के दिन कुबेर दिन के अलावा किसकी पूजा होती है इस बात पर अभी भी बहुत से लोगों के मन में असमंजस है। तो बता दें धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा का विधान है। बता दें भगवान धनवंतरि का जन्म भी समुद्र मंथन के वक्त हुआ था। मान्यताओं के अनुसार जब इनकी उत्पत्ति हुई तब इनके दोनों हाथों में अमृत के कलश थे जिस कारण इन्हें धन के देवता माना जाता है और इनकी उत्पत्ति के दिन को धनतेरस कहा जाता है।

शास्त्रों में प्रत्येक देवी-देवता को महत्वता प्राप्त है। ठीक उसी तरह से धार्मिक ग्रंथों में भगवान धनवंतरि की भी पूजा का विशेष महत्व दिया गया है। धनतेरस के खास मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस दिन किए जाने वाले इनके एक चमत्कारी व लाभकारी स्त्रोत के बारे में। जिसके बारे में कहा जाता है कि अगर इस दिन कोई जातक भगवान धनवंतरि की पूजा के दौरान इस स्त्रोत का पाठ कर लेता है तो उस पर इनकी कृपा तो होती है बल्कि साथ ही साथ देवी लक्ष्मी व कुबेर देव का आशीर्वाद भी मिलता है। तो आइए देर न करते हुए जानते हैं इस स्त्रोत के बारे में- 

धनतेरस के दिन यानि धन त्रयोदशी के दिन पढ़े पौराणिक-स्तवन-मंत्र-स्तोत्र जिसके जाप से मिलेगा धन, आरोग्य, सुदंरता और समृद्धि का आशीर्वाद।
शंखं चक्रं जलौकादधतम्-
अमृतघटम् चारूदौर्भिश्चतुर्भि:।

सूक्ष्म स्वच्छ अति-हृद्यम् शुक-
परि विलसन मौलिसंभोजनेत्रम्।।

कालांभोदोज्वलांगं कटितटविल-
स: चारूपीतांबराढ़यम्।

वंदे धन्वंतरीम् तम् निखिल
गदम् इवपौढदावाग्रिलीलम्।।

यो विश्वं विदधाति पाति-
सततं संहारयत्यंजसा।

सृष्ट्वा दिव्यमहोषधींश्च-
विविधान् दूरीकरोत्यामयान्।।

विंभ्राणों जलिना चकास्ति-
भुवने पीयूषपूर्ण घटम्।

तं धन्वंतरीरूपम् इशम्-
अलम् वन्दामहे श्रेयसे।।

Jyoti

Advertising