Happy Lohri Vastu Tips: इस शुभ मुहूर्त में जलाएं लोहड़ी, बुरी बलाएं जाएंगी भाग

Saturday, Jan 13, 2024 - 08:27 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Lohri 2024 Vastu Tips: लोहड़ी का त्यौहार पौष महीने के अंतिम दिन सूर्यास्त के बाद मनाया जाता है। इस वर्ष आज 13 जनवरी यानी लोहड़ी का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा और रात को 8 बजकर 12 मिनट पर विश्राम होगा। लोहड़ी से जुड़ी परम्पराओं एवं रीति रिवाजों के अनुसार यह ज्ञात होता है, कि प्राचीन समय में दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि दहन की याद में यह पवित्र अग्नि जलायी जाती है।

आज का राशिफल 13 जनवरी, 2024- सभी मूलांक वालों के लिए कैसा रहेगा  

Surya Transit 2024: शनि के घर आ रहे हैं सूर्य, इन 4 राशियों को मिलेगी तरक्की

Tarot Card Rashifal (13th January): टैरो कार्ड्स से करें अपने भविष्य के दर्शन

लव राशिफल 13 जनवरी- सांसों पे रखा हुआ तेरे होठों का सपना अभी है वही

 Kharmas: जानें कब समाप्त होगा खरमास, इस दिन से शुरू होंगे सभी मांगलिक कार्य

Mira bai Mandir Vrindavan: वृन्दावन के मीरा बाई मंदिर में धूमधाम से मनाया गया लड्डू गोपाल का जन्मदिन

Vinayak Chaturthi: कब है साल की पहली विनायक चतुर्थी ? यहां जानें डेट और पूजा विधि

प्राण त्यागने से पहले भीष्म पितामह ने इस विधि से की थी भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति

आज जिनका जन्मदिन है, जानें कैसा रहेगा आने वाला साल

Makar Sankranti: कई पीढ़ियों से चली आ रही दरिद्रता का करें नाश

Makar Sankranti: सूर्य-शनि के अनोखे मिलन से जुड़ा है मकर संक्रांति पर्व, पढ़ें कथा और शुभ मुहूर्त

Happy Lohri Vastu Tips: इस शुभ मुहूर्त में जलाएं लोहड़ी, बुरी बलाएं जाएंगी भाग

आज का पंचांग- 13 जनवरी, 2024

What should I do in Lohri at home: वास्तु विज्ञान के नियम के अनुसार अगर अग्नि को घर में ही जलाकर इस त्यौहार को मनाना चाहते हैं तो इसे घर के आग्नेय कोण यानि कि पूर्वी दक्षिणी कोने में जलाएं। अगर आप इस त्यौहार को सामूहिक रूप से किसी खुले स्थान पर मनाना चाहते हैं तो लकड़ियों को जलाने के लिये उस स्थान के आग्नेय कोण अर्थात पूर्वी दक्षिणी कोने में स्थापित करना चाहिए। जो भी व्यक्ति उस अग्नि को जलाये उसे अग्नि जलाते समय अपना मुख पूर्व दिशा की तरफ ही रखकर अग्नि को प्रचंड करना चाहिए। अग्नि जलने के बाद उसमें मुंगफली, रेवड़ी, मक्की, तिल, गुड़, गज्जक, इत्यादि नई फसलों व उनसे बने उत्पादों को देव आत्माओं को समर्पित करने के भाव से अग्नि में डाला जाता है क्योंकि हमारे धार्मिक ग्रंथों में अग्नि को देव आत्माओं का मुख भी कहा गया है। हम जो भी देवआत्माओं को भोग लगाना चाहते हैं वह सिर्फ अग्नि के माध्यम से ही उन तक पहुंचता है।

What should we do on Lohri: जब लकड़ियां पूरी तरह से जल जाती हैं तो सभी उपस्थित व्यक्ति उस अग्नि की तीन बार परिक्रमा करते हैं। सभी खाने की वस्तुओं को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। अग्नि समाप्त होने के बाद कुछ अधजली लकड़ी को जाते समय घर ले जाते हैं क्योंकि माना जाता है कि वह लकड़ी घर की पश्चिम दिशा में रखने से घर पर दुष्ट आत्माओं का प्रभाव नहीं होता। 


Lohri shagun: लोहड़ी कर त्यौहार अधिकतर उत्तर भारत में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन नई फसल की पूजा की जाती है तथा उनकी फसल मौसम के नकारात्मक प्रभाव से बची रहे इसके लिये प्रार्थना भी की जाती है। 

Lohri katha: लोहड़ी के इतिहास में एक और कथा भी पाई जाती है: यह कथा तब की है जब भारत और पाकिस्तान एक ही थे। पाकिस्तान के संदल बार इलाके में एक ऐसा नायक जिसका नाम था दुल्ला भट्टी जो कि जाति से राजपूत था। दुल्ला भटटी मुगल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। उस समय में संदल बार इलाके में एक जगह पर लड़कियों को गुलामी के लिए बलपूर्वक अमीर लोगो को बेचा जाता था। जिसे दुल्ला भटटी ने एक योजना के तहत आजाद करवाया और हिन्दु लड़कों से उनका विवाह भी करवाया। जिस कारण वह पंजाब में एक नायक के रूप में मशहूर हो गया। इसी कारण उस महान घटना के कारण पंजाब के इलाके से यह एक त्यौहार मे रूप में मनाया जाता है। इसी ही कारण लोहड़ी के गीतों में दुल्ला भटटी का जिक्र किया जाता है। दुल्ला भटटी की वंशावली जो कि भट्टी राजपूत हैं।


Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

 

 

Niyati Bhandari

Advertising