लोहड़ी: बढ़ी बाजारों की रौनक, बदला स्वरूप

Saturday, Jan 13, 2018 - 08:45 AM (IST)

आजकल लोहड़ी के त्योहार का रुप काफी बदल गया है। अब लोग अपनी सुविधा और छुट्टी के हिसाब से कई दिन पहले ही रात की बजाए दिन में ही लोहड़ी मना लेते हैं। कई लोग तो होटलों में ही प्रोग्राम रख लेते हैं तथा अपने गैस्ट के लिए लंच अथवा डिनर की व्यवस्था करके डी. जे की धुन पर झूमते हुए त्योहार मनाते हैं। लोग उन्हें शगुन अथवा उपहार देते हैं जिनके यहां लोहड़ी मनाई जाती है जबकि पहले वह लोग सभी को लोहड़ी बांटते थे जिनके घरों में लोहड़ी होती थी।  


बाजारों की रौनक बढ़ी
मार्कीट में खरीदारों की काफी चहल-पहल दिखाई दे रही है, क्योंकि जिन घरों में लड़कियों की शादियां इस साल हुई हैं अथवा जिनकी सगाई हो चुकी है वह लडक़ी के ससुराल वालों के घर लोहड़ी का त्यौहार देने जाते हैं। गर्म कपड़ों की दुकानों पर भी भीड़ है। खाने-पीने के सामान के साथ ही अनेक प्रकार के उपहार देने की परम्परा है।


क्या उपहार देने की परम्परा है?
त्योहार पर मुंगफली, रेवड़ी, गच्चक, तिल भुग्गा के साथ ही फ्रूट और ड्राई फ्रूट देने की भी परम्परा है। मौके के अनुसार सुन्दर वस्त्र और अपनी सामर्थ्यानुसार गहने आदि देने की भी परम्परा है। हलवाई की दुकानों पर लोहड़ी के लिए विशेष मिठाई खजूरें बनाई जाती हैं तथा साथ ही विभिन्न प्रकार की पिन्नियां इस त्योहार की विशेषता है।  


गच्चक व रेवड़ी 
मार्कीट में चीनी और गुड़ की गच्चके व रेवड़िया बिक रही हैं। इसके अतिरिक्त हैल्थ को लेकर चिंतित लोंगो के लिए शुगर फ्री सामान भी उपलब्ध है। मार्कीट में तिल, मुंगफली और चाकलेट फ्लेवर के अतिरिक्त, रोज, मैंगो व अन्य फलेवर्स वाली खुशबूदार देसी घी की अनेक प्रकार की गच्चकें भी खूब बिक रही हैं।


लकड़ी के टाल पर जम रही भीड़
वैसे तो आजकल चूल्हा जलाने की परम्परा नहीं रही, इसलिए उन की बिक्री कम ही होती थी परंतु लोहड़ी पर धूनी लगाने के लिए लकड़ी के टाल पर भी रौनक देखने को मिली। लोग अपने हिसाब से ऐसी लकड़ी खरीदते हैं जो रात को देर तक जलती रहे और धूआं भी न करे।


लोहड़ी मांगने का नया ढंग- आजकल कुछ लोग टोलियां बनाकर बैंड बाजे के साथ भी घरों और दुकानों पर जाकर लोहड़ी मांगने लगे हैं।

वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com

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