Lockdown: घर बैठे पाएं नवरात्र में मंदिर जाने जितना लाभ

Saturday, Mar 28, 2020 - 01:00 PM (IST)

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कोरोना वायरस के कहर से भारतवासियों को बचाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन का निर्णय लिया। जैसा की सभी को मालुम ही है की इस समय चैत्र नवरात्र चल रहे हैं। सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने के लिए सभी देवी मंदिर बंद पड़े हैं। चाह कर भी मंदिर में दर्शनों के लिए नहीं जाया जा सकता। नवरात्र में ईश-साधना और अध्यात्म का अद्भुत संगम होता है। नवरात्र के नौ दिनों में स्वयं के बुरे विचार, क्रोध, छल-कपट आदि से बुरे गुणों पर नियंत्रण किया जाता है। यदि आप इन नौ दिनों में मानव कल्याण में रत रहते हैं, तो अनुष्ठान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार, दुर्गा सप्तशती में स्वयं भगवती ने इस समय शक्ति-पूजा को महापूजा बताया है।

यदि आप संपूर्ण विधि-विधान से देवी पूजा करना नहीं जानते हो तो शुद्ध मन और भावों से मां के निमित्त देवी सूक्त का पाठ करें। माना जाता है की ऐसा करने से नवरात्र में घर बैठे मंदिर जाने जितना लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यह विशेष पाठ आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेगा एवं रोग और शोक से निजात दिलाएगा। तो देर किस बात की श्रद्धा और आस्था के साथ पढ़ें-

देवी सूक्त
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्॥1॥
रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः।
ज्योत्स्ना यै चेन्दुरुपिण्यै सुखायै सततं नमः॥2॥
कल्याण्यै प्रणतां वृध्दै सिध्दयै कुर्मो नमो नमः।
नैऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः॥3॥
दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै।
ख्यातै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः॥4॥
अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः।
नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः॥5॥
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शाध्दिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥6॥
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥7॥
या देवी सर्वभूतेषु बुध्दिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥8॥
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥9॥
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥10॥
या देवी सर्वभूतेषु छायारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥11॥
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥12॥
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥13॥
या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥14॥
 
 

Niyati Bhandari

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