Lockdown का लाभ उठाएं, आज से शुरु करें ये काम

Saturday, Mar 28, 2020 - 07:53 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Lockdown: कोरोना वायरस की पकड़ को रोकने के लिए भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अप्रैल 2020 तक भारत में लॉकडाउन किया है। कोरोना वायरस के मरीजों की लगातार बढ़ोतरी हो रही है इसलिए लॉकडाउन कर दिया गया ताकि लोग अपने घर से बाहर न निकल सकें। सोशल डिस्टेंस मेंटेन करके ही इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। ऐसे में अपने समय का सदुपयोग करते हुए घर बैठकर सभी के भले के लिए प्रार्थना करें। कलयुग में नवधा भक्ति में श्रवण, कीर्तन का महत्व सबसे अधिक है, इनमें भी कीर्तन का महत्व सर्वाधिक बताया गया है। कहा गया है कि नाम और गुण का स्वर से उच्चारण करने का नाम कीर्तन है, कीर्तन वस्तुत: यशोगान करने वाली क्रिया का नाम है। कहा गया है कि- अज्ञानादथवा ज्ञानादुत्तमश्लोकनाम यत्। संर्कीततमघं पुंसो दहदेधो यथानल:।।

अज्ञान में अथवा ज्ञान में प्रभु का नाम कीर्तन करने वाले भक्त के पाप वैसे ही नष्ट हो जाते हैं जैसे अग्नि से ईंधन।

कीर्तन-भक्ति तीन प्रकार से की जा सकती है- प्रभु की लीलाओं का गुणगान करके, प्रभु के गुणों का गान करके तथा प्रभु के नाम का गुणगान करके। इन तीनों में भी नाम-कीर्तन की प्रमुखता है।

अनेक ग्रंथ कीर्तन के यशोगान से भरे पड़े हैं, जिनमें कीर्तन को अत्यंत फलदायी बताया गया है। भीषण से भीषण पापों के नाश के लिए कीर्तन सर्वोपरि है। अजामिल के विषय में प्रभु के सेवकों ने यमदूतों से कहा कि अगर भगवान का नाम अज्ञान में भी लिया जाए तो वह नाम पापों से तारने वाला होता है और अगर भक्ति-भाव से लिया जाए तो कहना ही क्या।

कहा गया है सत्पुरुषों, गुरु, शास्त्रों की निंदा करना, श्रद्धा रहित और सुनने की इच्छा न रखने वाले व्यक्ति को प्रभु की महिमा सुनाना, भगवान के नामों में ऊंच-नीच समझना, प्रभु के प्रति श्रद्धा-भाव न रखना और विषय भोगों में डूबे रहना, ये सब नामापराध हैं। इन सबसे बचना चाहिए।

 

Niyati Bhandari

Advertising