Life Changing Story: ये विचार बदल सकता है आपकी जिंदगी

Friday, Sep 15, 2023 - 09:37 AM (IST)

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Life Changing Motivational Story: जीवन मूल्यवान है। मेरे लिए मेरा जीवन मूल्यवान है और आपके लिए आपका जीवन, इसीलिए जीवन की सार्थकता का पाठ पढ़ रहे हैं। हममें से जो व्यक्ति जीवन का मूल्य समझ लेगा, वह जीवन के प्रत्येक दिन और प्रत्येक पल का सार्थक उपयोग करेगा। जीवन मरने के लिए नहीं है। मृत्यु मजबूरी का नाम है। जीवन जीने के लिए है। जीवन प्रभु के घर से मिला उपहार है, प्रसाद है। जिन्हें जीने की कला आ जाती है, उनके लिए हर सुबह ईद का त्यौहार है, हर दोपहर होली का पर्व है और हर रात दीवाली का आनंद है।

प्रश्न है : क्या हम जीवन से संतुष्ट हैं ? क्या हर जीवन में आनंद और उत्सव है। क्या आपको लगता है कि हर उत्सव हमारी जाति है और आनंद हमारा गौत्र ? सोचो, हम अपने जीवन के मूल्यों को कितना प्रतिशत हासिल कर पाए हैं ? अथवा हम और कितना हासिल कर सकते हैं।



कहते हैं, एक गुरुकुल के कुलपति ने बुढ़ापा सामने आता हुआ देख कर अपने शिष्यों के सम्मुख यह घोषणा की कि अब वे अपने जीवन को आत्मकल्याण और प्रभु के दिव्य प्रेम में समर्पित करेंगे। गुरु ने अपनी ओर से समय और तिथि भी निर्धारित कर दी।
जिस दिन गुरु रवाना होने वाले थे, शिष्यों ने अपनी ओर से गुरुकुल के कुलपति से अनुरोध किया, ‘‘भगवान ! आप तो जा रहे हैं लेकिन जाने से पहले गुरुकुल का नया कुलपति नियुक्त करके गुरुकुल का दायित्व किसी न किसी को अवश्य सौंप जाएं।’’

कुलपति ने कहा, ‘‘यह निर्णय मैं संन्यास लेने से पांच मिनट पूर्व ही करूंगा।’’

कुलपति संन्यास के दिन स्नान-ध्यान से निवृत्त होकर बीच आंगन में आ गए। सारे शिष्य भी आवश्यक कार्यों से निवृत्त होकर कुलपति के संन्यास के कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। सभी लोगों को इस बात का इंतजार था कि इतने सारे शिष्यों में से गुरुदेव ने जानें किसको कुलपति नियुक्त करेंगे।

कुलपति ने एक नजर सारे शिष्यों को देखा और कहा, ‘‘मैं नए कुलपति का निर्णय करूं, उससे पहले तुम लोगों से एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। मेरा प्रश्न यह है कि दुनिया में लोहा ज्यादा मूल्यवान है या चांदी?’’

सभी शिष्यों ने तपाक में एक स्वर में जवाब दिया कि चांदी ज्यादा मूल्यवान है। गुरु ने सारे शिष्यों पर एक नजर डाली तो एक शिष्य ऐसा पाया जो मौन था। उसने कोई जवाब न दिया। गुरु ने उससे पूछा, ‘‘वत्स, तुमने कोई जवाब नहीं दिया। क्या तुम इन सबके  जवाब से संतुष्ट नहीं हो ?’’



शिष्य खड़ा हुआ, आदर से हाथ जोड़े और गुरुदेव से अनुरोध करने लगा, ‘‘भंते! मुझे यह कहने के लिए क्षमा करें कि लोहा चांदी से ज्यादा मूल्यवान होता है।’’

यह सुनते ही सारे शिष्य हंस पड़े। कहने लगे कि हमें पहले से ही पता था कि यह बुद्धू का बुद्धू ही रहेगा। अरे यह तो सारी दुनिया जानती है कि लोहा और चांदी में से चांदी ज्यादा मूल्यवान होती है। गुरु ने उसको ध्यान से देखा और कहा, ‘‘क्या तुम मुझे बता सकते हो कि तुमने लोहे को ज्यादा मूल्यवान किस आधार पर कहा ? ’’

शिष्य ने कहा, ‘‘मेरी समझ से दुनिया में मूल्य किसी वस्तु का नहीं होता। मूल्य होता है उस वस्तु में रहने वाली संभावना का। चांदी मूल्यवान है, यह तो सारी दुनिया जानती है लेकिन चांदी अपने मूल्य को न तो घटा सकती है और न ही बढ़ा सकती है पर लोहे को पारस का स्पर्श मिल जाए तो लोहा, लोहा नहीं रहेगा, वह सोना बन जाएगा। गुरुदेव, मूल्य वस्तु का नहीं होता, मूल्य होता है वस्तु में रहने वाली संभावना का।’’

गुरु ने उस शिष्य को अपने करीब बुलाया। आसन से खड़े हो गए और कुलपति के पद पर उसे नियुक्त करते हुए स्वयं संन्यास के लिए निकल पड़े।

हममें से आप या हम क्या हैं, मूल्य इस बात का नहीं है। मूल्य इस बात का है कि हम और आप क्या हो सकते हैं। कौन आदमी क्रोधी है वह जाने, कौन महिला कमाती है या घर में रोटी सब्जी बनाती है यह भी वह जाने। किस आदमी का कैसा स्वभाव है, कौन आदमी कितना धनी या गरीब है, ये सारी व्यवस्थाएं वह जाने। हम वर्तमान में क्या हैं, मूल्य इस बात का नहीं है, मूल्य इस बात का है कि हम अब और क्या हो सकते हैं। जहां तक आप पहुंचे, वह आपका यथार्थ हुआ। हम और आगे कहां पहुंच सकते हैं, यह बात मूल्यवान हुई। 

  

Niyati Bhandari

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