Apara Ekadashi Vrat Katha: स्वर्ग में स्थान प्राप्त करने के लिए पढ़ें अपरा एकादशी व्रत कथा

Monday, May 15, 2023 - 06:14 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Apara Ekadashi Vrat Katha: युधिष्ठिर के पूछने पर श्रीकृष्ण ने उनको बताया था कि व्रत के प्रभाव से भूत-प्रेत जैसी निकृष्ट योनियों तथा ब्रह्महत्या तक के पाप से मुक्ति सम्भव है। इसके अतिरिक्त  नरकगामी मनुष्य भी इस व्रत के प्रभाव से पाप मुक्त हो जाता है। यह व्रत पाप रूपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी तथा पुण्यकर्मों की प्राप्ति के लिए किसी कल्पवृक्ष से कम नहीं है। अपरा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति पापमुक्त होकर श्री विष्णु लोक में प्रतिष्ठित हो जाता है। अपरा एकादशी के मात्र एक व्रत से माघ में सूर्य के मकर राशि में होने पर प्रयाग में स्नान, शिवरात्रि में काशी में रहकर व्रत, गया में पिंडदान, वृष राशि में गोदावरी में स्नान, बद्रिकाश्रम में भगवान केदार के दर्शन या सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र में स्नान के समान फल प्राप्त होता है।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

 


अपरा एकादशी व्रत की कथा
महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। राजा का छोटा भाई वज्रध्वज बड़े भाई से द्वेष रखता था। एक दिन अवसर पाकर इसने राजा की हत्या कर दी और जंगल में एक पीपल के नीचे गाड़ दिया। अकाल मृत्यु होने के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल पर रहने लगी। मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति को आत्मा परेशान करती। एक दिन एक ऋषि इस रास्ते से गुजर रहे थे। इन्होंने प्रेत को देखा और अपने तपोबल से उसके प्रेत बनने का कारण जाना।

ऋषि ने पीपल के पेड़ से राजा की प्रेतात्मा को नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया। राजा को प्रेत योनी से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा और द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर व्रत का पुण्य प्रेत को दे दिया। एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त करके राजा प्रेतयोनी से मुक्त हो गया और स्वर्ग चला गया।

Niyati Bhandari

Advertising