भगवान श्री राम के इन गुणों को सीख लेंगे तो आप भी कहलाएंगे एक अच्छे पुत्र

Saturday, Oct 19, 2019 - 02:40 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अक्सर हम लोग एख-दूसरे के कोई न कोई नसीहत देते रहते हैं कि ये नसीहतें हम सामने वाले के हित का सोच कर देते हैं। मगर कुछ तो ऐसे लोग होते हैं जो बिना मतलब की ज्ञान बांटते फिरते हैं। कहा जाता है ऐसे लोगों की बातों सुनने के इंसान सही नहीं उल्टा गलत विचारों में डूब जाता है। इसलिए अगर आप किसी से कुछ सीखना ही चाहते हैं तो लोगों पर अपना वक्त ज़ाया करने से अच्छा है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम से सीखिए। जी हां, श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान राम के चरित्र में ऐसे कई बातें हैं जो अगर आप भी अपना लें तो आप एक अच्छे व्यक्ति कहला सकते हैं।

हिंदू धर्म का प्रमुख ग्रंथ रामायण के अलावा अन्य ऐसे ग्रंथ है जिनमें श्री राम का वर्णन मिलता है। सबके इष्ट भगवान शंकर इन्हें अपना इष्ट मानते हैं इस बात से समझा जा सकता है कि हिंदू धर्म के देवताओं में इनकी कितनी विशेष जगह है। यही कारण है कि लोग नित्य प्रातः उठकर इनकी पूजा आदि करते हैं परंतु इनकी पूजा के साथ-साथ इनके चरित्र को भी अपनाने की कोशिश करनी चाहिए। आज हम आपको मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम के चरित्र की ही कुछ बातें बताने जा रहे हैं।

श्री राम का आचरण
जैसे कि आप सब जानते हीं होंगे कि शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं जो स्वंय भगवान के गुणों से ओतप्रोत है। परंतु आज समाज में लोगों के आचरण में मिलावट आ गई है। ऐसे में हमें भगवान राम के आचरण से पवित्रता सीखनी चाहिए।

माता-पिता का सम्मान
अपने पिता दशरथ और माता कैकेयी के द्वारा 14 वर्ष का वनवास दिए जाने पर श्री राम ने उनसे एक भी सवाल न करते हुए उनकी आज्ञा का पालन किया। भगवान श्री राम तो भगवान थे उन्हें पता था कि मेरे पिता अपने वचन के चलते मजबूर हैं इसलिए उन्हें उनकी आज्ञा का पालन करना ही होगा। कहते हैं इसलिए उन्होंने वनवास का रास्ता चुन लिया।

गुरु का आदर
कहते हैं गुरु का स्थान किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे बड़ा होता है। इनके मार्गदर्शन के बिना जीवन में सफलता हासिल करना बहुत कठिन होता है। श्री राम इस बात को बकायदा समझ थे इसलिए उन्होंने आजीवन पर अपने गुरु वशिष्ट की आज्ञा का पालन किया।  

धैर्य
रामायण को अच्छे से जानने पर पता चलता है कि श्री राम ने अपने जीवन की कठिन से कठिन परिस्थिति में अपना धैर्य नहीं खोया है। हर परेशानी में उन्होनें धैर्य से काम लिया। आज के समय में भी हर किसी को ऐसी ही होना चाहिए गुस्से के आवेश में आकर न तो किसी को कुछ गलत कहना चाहिए  न ही अपने जीवन से संबंधित कोई बड़ा फैसला लेना चाहिए।

किस्मत को अपनाना
श्री राम चाहते तो अपनी नियति को बदल सकते थे क्योंकि वो भगवान थे परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया  बल्कि उसके स्वीकार किया और उसका डटकर सामना किया।

 

Jyoti

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