शास्त्रों से जानें, क्यों लेते हैं भगवान ‘अवतार’

Sunday, Nov 21, 2021 - 09:36 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Why do God take avatar : एक बार श्रीमंमहाप्रभु श्रीगौरांगदेव जी महाराज बैठे हुए थे। उनके किसी शिष्य ने पूछा कि महाराज परमात्मा निराकार से साकार कैसे हो गए?


यह सुनकर श्री महाप्रभु जी रोने लगे और कहा कि इस धर्मपरायण भारत भूमि पर ऐसा कौन है जो ऐसा बेतुका प्रश्न करता है?

अरे! जब परमात्मा में सारी शक्तियां है ? तब क्या वे निराकार से साकार नहीं हो सकते ? यदि भक्त विपत्ति में है, संकट में है तो क्या भगवान साकार होकर उसकी रक्षा सहायता को नहीं आ सकते ? भगवान या तो धर्म की पुन: स्थापना के लिए या धर्म पर आघात करने वालों के मूलोच्छेद के लिए अवतार लेते हैं अथवा भक्त की भक्ति से अभिभूत होकर दर्शन देकर उसका कल्याण करने के लिए अवतरित होते हैं।

एक वयोवृद्ध ब्रह्मनिष्ठ महात्मा भगवान की परम कृपा की अनुभूति कर कहा करते थे कि जिस ईश्वर से हम बातचीत नहीं कर सकते, जिस ईश्वर से हम सुख-दुख भी नहीं कह सकते, जिस ईश्वर से हम मिलजुल नहीं सकते, हमें ऐसे निराकार ईश्वर से क्या करना है? हम तो ईश्वर के साथ कृष्ण के बाल सखा बनकर खेलेंगे।

भगवान भक्तों के प्रेम के वशीभूत होकर निराकार से साकार हो जाते हैं। वे साकार होते हुए भी निराकार होते हैं। दो प्रकार के अवतार हमारे यहां होते हैं। 1. निमित्त और 2. नैमित्तिक।

श्री राम और श्री कृष्ण साक्षात अवतार थे।  पूर्णावतार, अंशावतार, विशेष अवतार, विशेष अवतार और नित्यावतार। ये पांच प्रकार के अवतार होते हैं। इनके प्रकट होने के अलग-अलग कारण होते हैं। हमारे धर्म शास्त्रों में विस्तार से इन अवतारों का परिचय दिया गया है। अवतार किसी एक जीव के कल्याण के लिए होता है। इस प्रकार समस्त जीवों का कल्याण अवतार रूप में प्रकट श्री भगवान की शक्ति द्वारा उपर्युक्त पांच प्रकार से होता है। अहंकारी और शंकालु व्यक्ति अवतार को कभी नहीं पहचान सकता। भगवान श्रीकृष्ण को उनके समय में केवल भीष्म जैसी विभूति ही पहचान पाई थी। भगवान ने स्वयं कहा है :

अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः:। परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम्।।

अज्ञानी लोग मुझ अव्यक्त को शरीरधारी व्यक्ति मानते हैं। वे मेरे परमात्मा स्वरूप को जो अव्यय और सर्वोत्तम है, नहीं जानते।

कुछ शंकालु लोग कहते हैं कि भगवान श्री राम और श्री कृष्ण अवतार नहीं, महापुरुष हैं। श्री कृष्ण अवतार नहीं केवल योगीराज हैं। ऐसे शंकालु लोगों के कुसंग या कथन पर ध्यान न देकर शास्त्र सिद्ध अवतारों में पूर्ण निष्ठा रखते हैं। उनका भजन करते रहना चाहिए। भगवान के भजन तथा मानवोचित सत्कर्म करते रहने में ही हमारा कल्याण है। तर्क-वितर्क से तो बुद्धि श्रम ही पैदा होता है, अत: दृढ़ विश्वास, दृढ़ निष्ठा ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

Niyati Bhandari

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