चाणक्य से जानें किस तरह के लोग होते हैं धरती पर बोझ

Monday, Aug 03, 2020 - 06:44 PM (IST)

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क्या आप ने कभी किसी व्यक्ति को ये वाक्य, "धरती पर बोझ हो तुम" कहते सुना है या फिर खुद किसी के लिए इस वाक्य का प्रयोग किया है? 

अगर आपका उत्तर हां है, तो आपको बता दें कि आगे दी जाने वाली तमाम जानकारी इसी से जु़ड़ी हुई है। जी हां, आज हम आपको बताने वाले हैं कि आचार्य चाणक्य द्वारा बताई इससे जुड़ी जानकारी के बारे में। अब आप में से बहुत से लोग ये सोच रहे होंगे कि भला ऐसा कौन सी जानकार हो सकती है। दरअसल आचार्य चाणक्य  ने अपनी नीति शास्त्र में उन 3 प्रकार के लोगों के बारे में जो धरती पर बोझ होते हैं। जी हां, चाणक्य बताते हैं कि आखिर इन लोगों में ऐसा क्या होता है, या इनकी प्रवृति कैसे होती है जो इनके बारे में ऐसा कहा और माना जाता है। 

तो चलिए आचार्य चाणक्य की नीति श्लोक के जानें कि उन लोगों के बारे में जिन्हें जीने का हक नहीं होता- 

चाणक्य नीति श्लोक- 
मांसभक्षै: सुरापानै: मूर्खेश्चाऽक्षरवर्जिते:। 
पशुभि: पुरुषाकारैर्भाराक्रान्ताऽस्ति मेदिनी।।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग मांस का सेवन करते हैं, मदिरा-पान या किसी अन्य प्रकार का नशा करते हैं तथा मुर्ख लोग धरती पर बोझ कहलाते हैं। आइए थोड़ा विस्तारपूर्वक जानते हैं इस बारे में- 

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, जीव हत्या को महापाप माना गया है, ऐसा करने वाले व्यक्ति को भी जीने का कोई हक नहीं होता। चाणक्य ये भी बताते हैं कि किसी भी  इंसान को तब तक किसी जीव की हत्या करने का हक नहीं है, जब तक वो उसे नुकसान न पहुंचाए।

शराब पीने वाले या अन्य प्रकार का नशा आदि करने वाले लोग समाज के लिए बोझ कहलाते हैं, क्योंकि नशे की स्थिति में इंसान को सही-गलत का पता नहीं रहता ऐसा ही हालात में ही ज्यादातर अपराध का जन्म होता है।

मूर्ख शख्स को भी धरती का बोझ माना जाता है, क्योंकि ऐसे लोग परेशानियों को कम करने की बजाए अपनी बेवकूफी के चलते बढ़ा लेते हैं। चाणक्य के मुताबिक, ऐसे लोग दिखने में चाहे इंसान की तरह होते हैं, लेकिन असल में पशु होते हैं। 

Jyoti

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