जानें, मंत्र उच्चारण करने के पीछे का सही कारण

Tuesday, Jan 30, 2018 - 02:18 PM (IST)

हिंदू धर्म में मंत्र उच्चारण का बहुत महत्व माना जाता है। मन को एक यंत्र में लाना ही मंत्र कहलाता है। विभिन्न प्रकार के विचारों को समाप्त करके मन में मात्र एक विचार का निर्माण करना ही मंत्र का मुख्य लक्ष्य होता है। जब इंसान एक इस लक्ष्य को पा लेता है, तब व्यक्ति का दिमाग एक ही दिशा में केंद्रित होता है। जब व्यक्ति अपने आप को इस परिस्थिति में ढाल लेता है जिसमें वह लगातार एक मंत्र का उच्चारण करता है तो उसकी मंत्र साधना सिद्ध हो जाती है। असल में मन जब मंत्र के अधीन हो जाता है तो वो सिद्ध कहलाता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि जब मंत्र साधना सिद्ध हो जाती है तो इसका लाभ क्या होता है। 


मंत्र से न केवल देवी-देवताओं को साधा जाता है, इससे भूत-पिसाच, यक्ष-यक्षिणी को भी साधा जाता है। 'मंत्र साधना' भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार मानी जाती है। जीवन में आने वाली किसी भी प्रकार की समस्या को क्वल मंत्र जाप से दूर कर सकते है। मंत्र का द्वारा हम स्वयं के मन मस्तिष्क को बुरे वितारों से दूर कर अच्छे विचारों में बदल सकते हैं। 

किसी मंत्र, भगवान का नाम या किसी श्लोक का जप करना हिंदू धर्म में वैदिक काल से ही प्रचलित रहा है। जप-साधना में मंत्रों की निश्चित संख्या होती है। इसलिए जप में गणना जरूरी है। जप गणना के लिए माला का उपयोग किया जाता है। हिंदू शास्त्रों में जप करने के तरीके और महत्व को बताया गया है। कहते हैं कि बौद्ध धर्म के कारण यह परंपरा अरब और यूनान में प्रचलित हो गई।


माला नियम
जप करते वक्त माला फेरी जाती है जिससे जप संख्या का पता चलता है। यह माला 108 मनकों की होती है। जिस माला से जाप करें, उसे दाहिने हाथ में रखना चाहिए। इस बात का विशेष ध्या रखना चाहिए कि जाप करते समय माला का धरती पर स्पर्श नहीं होना चाहिए।


माला के प्रकार
रक्त चंदन, लाल चंदन, मूंगा, स्फटिक, रुद्राक्ष, काठ, तुलसी, मोती, कीमती पत्थर एवं कमल गट्टे आदि प्रकार की माला होती है।

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