Lathamar Holi in Barsana: नंदगांव के हुरियारों ने झेली लाठियों की मार

Tuesday, Mar 19, 2024 - 07:53 AM (IST)

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मथुरा (डॉ.कमलकान्त उपमन्यु): योगीराज भगवान श्रीकृष्ण व उनकी प्रिय राधा की अलौकिक प्रीति से उपजी करीब पांच हजार साल से चली आ रही ब्रज की अनूठी लठामार होली एक बार फिर से सोमवार को अपने विराट रूप में जीवंत हुई। ब्रज में फाल्गुन की मस्ती के बीच जब श्याम रंग बरसा तो प्रेम में पगी लाठियां थिरक उठीं। रूप ब्रजधाम के बरसाने की हुरियारिनों और नंदगांव के हुरियारों का था, लेकिन इसमें भाव अल्हादिनी श्रीराधिका रानी के अपार प्यार का देखने को मिल रहा था। ऐसा लगा कि मानो अलौकिक प्रीति को प्रहार से अभिव्यक्त होते देख लाखों लोग आंनद लोक में पहुंच गए हों। सब जग होरी जा ब्रज होरा। इस अभिव्यक्ति के साथ बरसाने की लठामार होली को देखने के लिए लाखों भक्त एक दिन पूर्व लड्डू होली के दिन से ही उमड़ पड़े। देखते ही देखते भीड़ का सैलाब रंगों के सरोवर में डुबकी लगाने लगा। गिरधर के रंग में भीग रहौ चहुंओर बरसाने की यही अभिव्यक्ति परिदृश्य की वास्तविकता लग रही थी। आसमान का ऊपरी हिस्सा गुलाल की परत से नया रंग ले चुका था। खुशी में संकरी गलियों के मकानों की छतों से बरसाए फूल आनंद की अनुभूति में दो गुना उत्साह पैदा कर रहे थे। धरती पर चपलता से लाठियां थप-थप कर बरस रही थीं। 

नंदगांव के हुरियारे परंपरागत रसिया गायन कर बरसाने की हुरियारिनों को उकसा रहे थे। नए परिधानों में सजी सुंदर-सुंदर हुरियारिनें चुटीली स्नेह मनुहार का लाठियां भांजकर उनका उत्तर दे रही थीं। द्वापर युग से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन ब्रज के बरसाना धाम में हुआ। नंदगांव से बरसाने में लठामार होली खेलने आए हुरियारों ने बरसाने की प्रिया कुंड पर खूब भांग-ठंठाई छानी। फिर सजधज कर सिर पर पगड़ी बांधकर हाथों में ढाल व पिचकारी लिए ब्रह्मा गिरि पर्वत स्थित लाड़ली जी के मंदिर पहुंचे। इससे पूर्व बरसाने के गोस्वामी समाज द्वारा रंगीली गली के बाहर रसिया गायन आज है रंगीली होली का आयोजन किया। गुंसाई के समाज के लोगों ने चौपाई निकालकर नंदगांव के हुरियारों का स्वागत किया। लाडली श्रीराधा रानी के श्रीजी मंदिर पर बरसाने के हुरियारों के साथ नंदगांव के हुरियारे भी पहुंच गए। 

जहां पर सुंगन्धित टेसू के फूलों के बने रंग से होली खेली गई। रंग से भीगकर नंदगांव के हुरियारे होली की उमंग व भांग की तरंग में झूमते हुए रंगीली गली में होली खेलने पहुंचे।होली खेलने के लिए पहले से ही सुंदर-सुुंदर परिधानोें में सजी बरसाने की हुरियारिनों ने जब नंदगांव के हुरियारों को देखा तो उनके मुख से सहज ही निकल पड़ा सजनी भाग से फागुन आयौ आज जायै नायें छोडुंगी। इन्हीं स्वरों के साथ शुरू हो गई बरसाने की लठामार होली। हुरियारे हाथ में ढाल और पिचकारी लेकर नाचने लगे। हंसी और ठिठोली के बीच बरसाने की हुरियारिन अपने सजे हाथों से लाठियों के प्रहार नंदगांव के हुरियारों पर कर रही थीं। इस प्रेममयी लाठियों की बरसात को हुरियारे बखूबी से अपनी सुंदर सजी ढालों पर रोक रहे थे। सांयकाल तक चली इस विश्व प्रसिद्ध लठामार होली को खेलते हुए जब नंदगांव के हुरियारे बरसाने की गोपियों के वारों से थक गए तो हुरियारिनों से माफी मांगने लगे। इस होली में हुई जीत की खुशी देने अपनी आराध्या राधारानी के लाडली जी मंदिर पहुंची।

Niyati Bhandari

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