लाला लाजपत राय को कहा जाता था ‘पंजाब केसरी’

Thursday, Jul 18, 2019 - 03:21 PM (IST)

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एक बार एक विद्यालय के कुछ छात्रों ने मिलकर एक पहाड़ी क्षेत्र में पिकनिक पर जाने की योजना बनाई। इसके लिए यह तय किया गया कि सभी बच्चे अपने-अपने घर से कुछ न कुछ खाने का सामान लेकर आएंगे। एक विद्यार्थी ने घर पर आकर अपनी मां को सारी बात बताई। सुनकर मां परेशान हो गई क्योंकि घर में कुछ भी नहीं था, न तो खाना बनाने का सामान था और न सामान खरीदने के लिए पैसे। कुछ खजूर अवश्य पड़े थे, पर उन्हें पिकनिक के लिए ले जाना अच्छा नहीं लगता था।

कुछ देर बाद बालक के पिता घर आए तो उसकी मां ने बालक के कार्यक्रम के विषय में उन्हें भी बताया। संयोग से उसके पिता जी की जेब भी उस समय खाली थी। पिता बालक का दिल नहीं तोडऩा चाहते थे। अंत में उन्होंने निश्चय किया कि वह पड़ोसियों से कुछ उधार मांग कर अपने बच्चे की इच्छा पूरी कर देंगे।

‘‘मैं अभी आया’’ कहकर जब पिता पड़ोस के घर की तरफ जाने लगे तब बालक को परिस्थिति समझते जरा भी देर न लगी। उसने तुरंत भागकर अपने पिता की बांह पकड़ कर पूछा, ‘‘आप कहां जा रहे हैं?’’

पिता ने कहा, ‘‘बेटा, पड़ोसी मित्र के यहां कुछ पैसे उधार मांगने जा रहा हूं ताकि तुम्हारे लिए कुछ खाने के सामान का प्रबंध किया जा सके। घर में तो कुछ है नहीं।’’

बालक ने कहा, ‘‘नहीं, पिता जी! उधार मांगना उचित नहीं है। मैं वैसे भी पिकनिक पर जाना नहीं चाहता था और यदि जाना भी होगा तो घर में खजूर तो पड़े ही हैं, मैं वही ले जाऊंगा। कर्ज लेकर शान दिखाना ठीक नहीं होता।’’

बालक के मुख से यह सुनकर पिता भावुक हो गए और भावुकतावश कुछ बोल नहीं सके। इस समझदार बालक का नाम था लाला लाजपत राय। वह आगे चलकर ‘पंजाब केसरी’ के नाम से प्रसिद्ध हुए।

Jyoti

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