Kurma Dwadashi: आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा है तो आज घर लाएं ये वस्तु
punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2024 - 07:14 AM (IST)
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Kurma Dwadashi Vrat 2024: पौष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कूर्म द्वादशी के नाम से जाना जाता है। कूर्म यानी कच्छप अथवा कछुआ। आज के दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा करने का विधान है। जो भी व्यक्ति आज के दिन विधि-विधान से भगवान कूर्म की पूजा करता है, उसके घर में स्वयं भगवान विष्णु लक्ष्मी संग वास करते हैं।
Kurma Dwadashi Upay: वैसे तो भगवान कूर्म को खुश करने के लिए सिर्फ नाम जाप ही बहुत है लेकिन उनका अपार प्रेम और कृपा पाने के लिए कुछ खास उपायों को जरूर फॉलो करना चाहिए। तो चलिए हम आपको बताते हैं की आज के दिन कौन से उपाय फॉलो करने चाहिए, जिससे घर-परिवार में सदा खुशहाली बनी रहे।
Vastu Feng Shui Tortiose Kurma घर में कछुआ लेकर आएं: कूर्म द्वादशी के दिन धातु से बने कछुए को घर लाने का बहुत ही महत्व है क्योंकि आज के दिन विशेष रूप से कछुए की पूजा होती है। घर में कछुए को रखने से हर प्रकार के आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं।
घर के मंदिर में कछुए की फोटो या फिर अष्टधातु से बनी मूर्त रखी जा सकती है।
घर में सुख-समृद्धि के लिए कछुए को उत्तर दिशा में रखें।
करियर बनाने के इच्छुक जातक कछुए को पूर्व, उत्तर या उत्तर-पश्चिम में रखें।
अगर किसी व्यक्ति के ऊपर बहुत कर्ज हो और चारों तरफ से रास्ते बंद हो जाएं तो उन लोगों को घर में कछुआ जरूर रखना चाहिए।
अगर किसी व्यक्ति ने नई दुकान खरीदी हो तो उस दुकान में छोटा सा चांदी का कछुआ जरूर रखना चाहिए।
कछुए को घर में रखते वक्त ध्यान रखें, इसे कभी भी अपने बैडरूम में नहीं रखना चाहिए।
In which Direction to keep the Tortoise किस दिशा में रखें कछुआ: कछुए को घर में स्थापित करने से पहले कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। कभी-कभी इसे गलत दिशा में रख देने से अशुभ प्रभावों का भी सामना करना पड़ सकता है। अगर करियर में खूब आगे बढ़ना चाहते हैं तो काले रंग के कछुए को उत्तर दिशा में रखें।
अगर घर की सुरक्षा चाहते हैं तो घर में मुख्य द्वार पर कछुआ रखना चाहिए।
Mantra jaap मंत्र जाप : इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति घर में कछुआ नहीं लेकर आ सकता है तो उसे भगवान विष्णु के सामने बैठकर उनके सारे अवतारों को प्रणाम करना चाहिए और उनके खास मंत्र का जाप करना चाहिए।
Mantra- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय