दक्षिण में लगता है ये प्रसिद्ध कुंभ

Saturday, Feb 23, 2019 - 03:25 PM (IST)

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तमिलनाडु में चिदंबरम के पास कुंभकोणम् नामक स्थान में ‘माहमाखम पर्व’ के नाम से मनाया जाता है। ‘कुंभकोणम्’ का संस्कृत नाम ‘कुंभघोषम’ है। यह कुंभ भी प्राय: 12 वर्षों में ही मनाया जाता है। कुंभकोणम् के महामाखम पर्व (कुंभ महापर्व) की कथा इस प्रकार है- ब्रह्माजी ने एक ऐसा कुंभ बनाया जिसमें अमृत संचित कर रखा गया है।

इस कुंभ की घोषा अर्थात नासिका किसी कारण से खंडित हो गई जिसके कारण ‘अमृत’ घड़े से बाहर फैल गया और वहां की भूमि अमृतमयी हो गई। यहां तक कि 5 कोस तक का भू-भाग अमृतमयी हो गया-

यथा-कुंभस्थ कोणंतो यस्मिन सुधापूरं विनिस्सृतम्।
तस्मात् तत्पदं लोके कुंभकोणां वदंतिहि।।

पुराणों के अनुसार अमृत और विश्व सृजन के बीजों से भरा कुंभ जलमय प्रलय के समय कुंभकोणम् नामक स्थान से आकर ठहर गया। शिकारी के वेश में शिवजी ने तीर मारकर घड़े को फोड़ दिया और इस प्रकार महामाखम सरोवर में अमृत भर गया।

महामाखम के दिन गंगा, यमुना, सरस्वती, सरयू, गोदावरी, नर्मदा, सिंधु, कावेरी व महानदी आदि दिनों के पावन सलिल स्रोत महामाखम सरोवर में प्रकट होते हैं तथा समस्त देवी-देवता वहां निवास करते हैं। महामाखम पर्व के समय लाखों श्रद्धालुजन यहां आकर महामाखम सरोवर और कावेरी नदी में स्नान करके दान-धर्म आदि कर्म करते हैं। 

कुंभ के बारे में कितना जानते हैं आप !


 

Niyati Bhandari

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