स्वयं को जान लेंगे तो सफल होने से कोई नहीं रोक पाएगा

Thursday, Feb 08, 2018 - 11:07 AM (IST)

यह तो सच है कि हर कोई जीवन में सुख और सफलता चाहता है, परंतु फिर भी हजारों में से कोई एक सुखी और सफल हो पा रहा है। ऐसा क्यों है और इस हेतु जिम्मेदार कौन है? यदि स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो मनुष्य स्वयं अपनी इस दुर्गति के लिए जवाबदेह है क्योंकि सुखी और सफल वही हो सकता है जो होश में हो। मगर अधिकांश लोग यही नहीं जानते कि वे कौन-सी आंतरिक शक्तियां हैं जो उनके जीवन को प्रभावित कर रही हैं।

 

सच तो यह है कि मनुष्य केवल रात ही नींद में नहीं गुजार रहा है, बल्कि उसका दिन भी सोते-सोते ही गुजरता है। वह अपनी शारीरिक क्रियाओं से भी अनजान ही है। उसे यह भी नहीं मालूम कि कब, किस बात हेतु उसे इन्द्रियां उकसाती हैं और कब कौन-सी बात के लिए उसकी बुद्धि उसे रोकती है। न ही वह अपने मन की शक्तियों को और न ही उसके उपद्रवों को अभी ठीक से जानता है। इसे ही बेहोशी या नींद कहते हैं। यह इसी बेहोशी का परिणाम है कि मनुष्य बाकी सभी की तो पूरी जानकारी रखता है, उनके बाबत अपनी राय भी फटाक से देता है, परंतु उससे उसकी खुद की मानसिकता के बाबत कोई सवाल पूछा जाए तो वह निरुत्तर हो जाता है। 

 

सोचो, आप कितनी ही खूबसूरत गाड़ी की सीट पर बैठे हों, परंतु आपको उसके एक्सेलरेटर, ब्रेक या क्लच के बारे में कोई जानकारी ही न हो तो आप गाड़ी कैसे चला पाएंगे? और गलती से स्टार्ट कर भी दोगे तो एक्सीडैंट ही होगा। जीवन में हर रोज पचासों एक्सीडैंट सिर्फ इसी वजह से हो रहे हैं कि आपको अपने क्लच, ब्रेक या एक्सेलरेटर की कोई जानकारी नहीं है। परिणामस्वरूप ब्रेक दबाना हो तो एक्सेलरेटर दबा देते हो।


अपना सिस्टम ठीक से पहचानो और जीवन की गाड़ी सरपट दौड़ाओ और अपना सिस्टम जानने हेतु अपने खुद के साथ बैठना जरूरी है। रोज सुबह-सुबह आधा घंटा सिर्फ अपने अकेले के साथ बैठो। 10 मिनट ध्यान से खुद के भीतर झांको और बाकी 20 मिनट अच्छा संगीत, धर्मज्ञान या गीता जैसी अच्छी बातें सुनो। देखें, यह एक आदत आपकी आपसे मुलाकात करवा देती है कि नहीं। एक बार आपने खुद को जान लिया, फिर आपको सुखी और सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

Advertising