कौन सी दिशा करती हैं जीवन की खुशियां को प्रभावित जानें यहां

Wednesday, Sep 09, 2020 - 12:57 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में हर तरफ़ केवल खुशियां ही खुशियां हों। मगर सवाल ये है कि ये खुशियां आती कहां से हैं? और कैसे इन्हें अपने जीवन में बरकरार रखा जा सकता है? तो आपको बता दें काफी हद तक ये खुशियां इंसान के जीवन में वास्तु लाता है। जी हां, वास्तु शास्त्र में बाखूबी बताया गया है कि कैसे घर में खुशियां आती हैं। दरसअल वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि खुशियों के साथ-साथ घर में सुख-समृद्धि केवल उस घर में आती हैं जो व्यक्ति अपना घर वास्तु के अनुसार बनवाता है, उसके घर में कभी किसी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां हावी नहीं होती न ही वहां रहने वाले लोगों की खुशियों को किसी की नजर लगती है। लेकिन वास्तु में कैसे घर को लाभदायक माना जाता है? किस प्रकार का घर, वहां रहने वाले लोगों को हर तरह के दुख दर्द से बचा कर रखता है? इस बारे में जानना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक माना जाता है। तो चलिए आप से भी साझा करते हैं इससे से जुड़ी जानकारी, जिसमें हम आपको बताएंगे कि वास्तु शास्त्र में घर को बनाने से जुड़ी क्या हिदायतें दी गई हैं। 

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार हर किसी को अपने घर की ईशाण कोण यानि उत्तर पूर्व दिशा को साफ-सुथरा रखना चाहिए क्योंकि इसका संबंध जल तत्व से होता है। इसलिए इस हमेशाा पावन व हल्का-फुल्का अर्थात इस दिशा में ज्यादा सामान नहीं रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस दिशा को साफ न रखने वाले के परिवार के सदस्य मानसिक रोगों से पीड़ित रहते हैं। 

ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र में पूर्व दिशा को सूर्य की दिशा माना जाता है। इसलिए इस दिशा का अधिक खुला होना चाहिए। ताकि इस दिशा से रोज़ाना सूर्य की किरणें घर में प्रवेष कर सकें। कहा जाता है कि प्रातः सूर्य की किरणें सूक्ष्म जीवाणुओं को खत्म करते घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। जो लोग अपने घर की इस दिशा को बंद रखते हैं, तो उनके जीवन की तरक्की में बाधाएं आती हैं। 

वास्तु में अग्नि कोण यानि दक्षिण-पूर्व दिशा को भी खासा महत्व प्राप्त है, क्योंकि इस दिशा के स्वामी अग्नि देवता हैं। इसलिए यहां अग्नि तत्व से सम्बंधित वस्तुएं जैसे विद्युत उपकरण एवं गैस चूल्हा रखना शुभ माना जाता है। वास्तु विशेषज्ञ के अनुसार भूलकर भी इस दिशा में किसी को जल स्रोत नहीं बनवाना चाहिए। 

चूंकि दक्षिण दिशा के स्वामी यम देव को माना जाता है, इसलिए किसी भी हालात में इस दिशा को खुला नहीं रखना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ख्याल रऱना चाहिए कि इसकी दीवारें अपेक्षाकृत मोटी और ऊंची होनी चाहिए।

नैऋत्य कोण यानि दक्षिण-पश्चिम दिशा की बात करें तो वास्तु में इसका संबंध पृथ्वी तत्व से कहा गया है इस दिशा के स्वामी नैरुत को कहा गया है। इस दिशा को भी भारी और बंद रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है इस दिशा के दूषित होने पर जातक को शत्रु भय एवं दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है।
 
वास्तु के अनुसार पश्चिम दिशा के स्वामी वरुण देवता को तथा तत्व वायु देव को कहा गया है। इस दिशा को कभी बंद नहीं रखना चाहिए। इससे जीवन में असफलता, मेहनत के बावजू़ूद भी पूरा फल प्राप्त नहीं होता। 

उत्तर-पश्चिम दिशा को वास्तु शास्त्र में वायव्य कोण के नाम से भी जाना जाता है। वास्तु शास्त्रियों के मुताबिक इस दिशा के शुद्ध और वास्तुदोषमुक्त रहने से घर के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। 

उत्तर दिशा का संबंध जल तत्व से होता है तथा इस दिशा के प्रतिनिधि देव धन के स्वामी कुबेर को कहा जाता है। वास्तु के अनुसार इस दिशा में कोई भारी सामान नहीं रखना चाहिए न ही इस दिशा को बंद करना चाहिए। इससे आर्थिक समस्याएं पैदा होती हैं।

Jyoti

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