श्री कृष्ण से जानिए कैसे आपको मिल सकता है Depression से छुटकारा

Tuesday, May 26, 2020 - 01:28 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बात करें मानसिक तनाव की, तो आज कल हर दूसरा इंसान इसका शिकार होकर बैठा है। इसका कारण जहां एक तरफ़ जीवन की परेशानियां हैं तो वहीं दूसरो ओर अपने धर्म संस्कृति से दूर होते जाना है। जी हां, आज कल की युवा पीढ़ी की बात करें तो इनके पास न तो इतना समय है न ही कोई दिलचस्पी है। माना जाता है कि आज के समय में अधिक लोगों को मानसिक तनाव से इसलिए गुज़रना पड़ता है क्योंकि उन्हें धार्मिक ग्रंथों आदि नें दी गई उन बातों के बारे में नहीं पता, जिन्हें जानने के बाद शायद इंसान अपने हर तरह के मानसिक तनाव से पीछा छुड़वा सकता है। तो अगर आप भी उन लोगों में से जिनके पास समय नहीं कि वो उन धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों को पड़ सके, मगर अपन तनाव से मुक्ति पाना चाहते हैं तो बता दें आज हम अपने इस आर्टिकल में उन्हीं लोगों के लिए कुछ ऐसी जानकारी देंगेक, जो उनके लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो सकती है। 
हिंदू धर्म का महाकाव्य महाभारत गणेश जी द्वारा लिखित और महर्षि वेदव्यास जी द्वारा रचित है। जिसमें कौरवों-पांडवों के बीच हुए युद्ध से हर बात लिखी है। इसके साथ ही इसमें श्री कृष्ण द्वारा दिए गए कई उपदेश भी वर्णित हैं, जो गीता के हैं। तो चलिए जानते हैं गीता में उल्लेखित इन्हीं उपदेशों में कुछ उपदेश जिन्हें जानने वाला व्यक्ति हर तरह के मानसिक तनाव से मुक्ति पा सकता है। 

श्री कृष्ण कहते हैं कि मानसिक तनाव से मुक्ति का सबसे आसान तरीका है, कि हमेशा अपनों से तजुर्बेदार लोगों से समय-समय पर सलाह, विचार-विमर्श लेते रहें, परंतु निर्णय सदैव स्वयं की बुद्धि से ही लें। महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण ने भी केवल समय-समय पर अर्जुन को सही राह दिखाया मगर उस पर अपनी सूझबूझ से चलने का फैसला वे खुद ही लेता था। अर्थात उन्होंने उसे ज्ञान देने के बावजूद यह स्वतंत्रता दी थी कि वह स्वविवेक से निर्णय लें और कार्य करें। यानि व्यक्ति को पराश्रित नहीं, स्वआश्रित होने का आह्वान कर स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनना चाहिए। 

हिंदू धर्म शास्त्रों में तप तीन प्रकार के बताए गए हैं- शरीर, वाणी और मन, जिनका प्रयोग प्रत्येक व्यक्ति को लोकहित में करना चाहिए। कहते हैं वाणी मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र है। इसमें इतनी ताकत होती है कि इसके दम पर व्यक्ति चाहे तो पूरे संसार को अपना मित्र बना सकता है या शत्रु बना सकता है। इसलिए श्री कृष्ण कहते हैं बोली हर व्यक्ति को चाहिए कि उसकी वाणी नियंत्रित और मर्यादित हो। 

जब भी किसी प्रकार का कोई संकल्प लें, इस बात का ध्यान रखें कि आपके मन का स्थिर और अचल होना अति आवश्यक है। तो वहीं अपने उद्देश्य को हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें। अपने मन को लक्ष्य के प्रति रुचि जागरूक रखें। 

Jyoti

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