जानें, चंद्रमा का मानव जीवन में महत्व

Saturday, Sep 26, 2020 - 04:15 PM (IST)

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। जिसकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमज़ोर होती है उसे कई तरह के मानसिक रोगों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा चंद्रमा क्या कहता आज हम आप से इसी बारे में बात करने वाले हैं कि चंद्रमा मानव जीवन से कैसे संबंधित होता है। खासतौर पर पूर्णिमा और चंद्रमा का क्या संबंध होता है।

दरअसल ज्योतिष शास्त्री बताते हैं कि कुंडली में चंद्रमा चतुर्थ भाव का कारक होता है। जो माता का सुख, भवन और आवास का सुख, वाहन का सुख और अन्य सुख-सुविधाएं प्रदान करता है। नक्षत्रों की बात करें तो चंद्रमा रोहिणी हस्त और श्रवण नक्षत्र के स्वामी कहलाते हैं। जिस जातक की कुंडली में चतुर्थ भाव में या चतुर्थ भाव का कारक चंद्रमा अपनी उच्च स्थिति में हो या बली हो तो वह जातक अपने जीवन में हर प्रकार का सुख प्राप्त करता है। मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्रों में चंद्रमा शुभ तथा बलवान होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा के मित्र ग्रह सूर्य और बुध माना जाते हैं, तो वहीं राहु-केतु शत्रु ग्रह कहलाते हैं। इनकी दिशा वायय्य होती है। ये वैश्य वर्ण क अंतर्गत आते हैं, जो सत्वगुणी हैं, मुख्य रस नमकीन होता है। 

कहा जाता है पूर्ण चंद्रमा सौम्य ग्रह की श्रेणी में आता है जबकि क्षीण यानि कमज़ोर चंद्रमा पाप ग्रह की श्रेणी में शामिल होता है। ज्योतिष विद्वान बताते हैं कि कृष्ण पक्ष की एकादशी से शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि तक चंद्रमा क्षीण होते हैं। चंद्र वृष राशि में 3 से 27 अंश तक मूल त्रिकोण में होता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा एक स्त्री ग्रह है। चंद्रमा के देवता मां गौरी को माना जाता है। काल पुरुष के अनुसार चंद्रमा मन के कारक हैं और गले और हृदय के आधिपत्य देव हैं। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसारअगर गोचर में चंद्रमा उच्च राशि, मूल त्रिकोण वृषभ राशि में हो तो उस समय गले और हृदय संबंधी ऑपरेशन के आसारा बनते हैं। बताया जाता है चंद्रमा अपने भाव से सप्तम भाव पर अपनी पूर्ण दृष्टि रखता है। चंद्रमा की अपनी राशि कर्क,उच्च राशि वृषभ और नीच राशि वृश्चिक होती है। इसे तीव्रता गति का ग्रह कहा जाता है, जो 1 राशि को पार करने में सवा 2 दिन लगाते हैं। अगर खगोलीय दृष्टि से देखा जाए तो पृथ्वी के सबसे निकट होने कारण मानव प्रवृत्तियों पर इसका अधिक प्रभाव होता है।  जिन लोगों का चंद्रमा नीच का होता या कम अंशों का होता है, तो पूर्ण चंद्रमा के कारण अर्थात पूर्णिमा के समीप उन लोगों के गुस्से में वृद्धि होती है। ऐसे में बीपी बढ़ने की शिकायत अधिक बढ़ती है। बल्कि कुछ लोग तो इस दौरान अपना तक धैर्य खो देते हैं। 

Jyoti

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