इच्छाधारी नाग-नागिन करते हैं शिवलिंग की रखवाली, लगता है सांपों का मेला

Monday, Nov 28, 2016 - 09:18 AM (IST)

कानपुर के खेरेपति शिव मंदिर में इच्छाधारी  नाग-नागिन मंदिर की रखवाली करते हैं। कहा जाता है कि नगपंचमी के दिन ये इच्छाधारी नाग-नागिन मंदिर में सुबह सूर्यादय के समय शिवलिंग की पूजा करने आते हैं। 

 

मान्यताअों अौर कानपुर के इतिहास से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने करवाया था। कहा जाता है कि शुक्राचार्य की बेटी देवयानी का विवाह जाजमऊ के राजा अादित्य से हुआ था। एक बार वे अपनी बेटी से मिलने जा रहे थे। खेरपति मंदिर के नजदीक वह कुछ देर आराम करने के लिए रुक गए। इस दौरान उनकी आंख लग गई। उन्हें सपने में भगवान शेषनाथ ने दर्शन दिए अौर उस स्थान पर शिव मंदिर बनाने की आज्ञा दी। शेषनाथ ने कहा कि दैत्य गुरु यहां शिवलिंग की स्थापना करवाएं, जिसमें मैं स्वयं वास करुंगा। जागने के बाद शुक्राचार्य ने शेषनाथ की आज्ञा के अनुसार वहां पर शिवलिंग की स्थापना की अौर मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर में सावन के महीने में शिवलिंग का भव्य श्रृंगार किया जाता है अौर पूजा-अर्चना की जाती है। 

 

कहा जाता है कि आज तक किसी ने भी नाग-नागिन के दर्शन नहीं किए। कहते हैं कि जब पुजारी मंदिर के कपाट खोलता है तो शेषनाग के शीष पर दो ताजाफूल चढ़े मिलते हैं। इसके साथ ही भगवान शिव पर भी पूजा साम्रगी अर्पित की हुई मिलती है। 

 

मंदिर के विषय में कहा जाता है कि एक बार नानाराव पेशवा प्रत्येक सोमवार इस मंदिर में पूजा करने आते थे। एक बार अंग्रेज सेना ने उनका पीछा करते हुए उन्हें घेर लिया। नानाराव बचते हुए खेरेपति शिव मंदिर आए। उनको पकड़ने के लिए जैसे ही अंग्रेज सेना ने मंदिर में कदम रखा उसी समय चारों अोर से सैंकड़ों सांप निकल आए। जिन्हें देखकर अंग्रेज सेना भाग गई। 

 

इस मंदिर में हर वर्ष नागपंचमी पर सांपों का मेला लगता है। मेले में देश-विदेश के सपेरे अपने सांपों को लेकर आते हैं। मेले की खासियत यह है कि सांप के विषदंत नहीं तोड़े जाते। कहा जाता है कि मंदिर निर्माण के बाद आज तक मंदिर के आस-पास किसी की भी सांप काटने से मौत नहीं हुई। स्थानीय लोगों का मानना है कि सावन महीने पर खेरेपति मंदिर जाकर सांप खरीदकर शिवलिंग पर चढ़ाने से घर से अपने आप सांप चले जाते हैं। 
 

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