Kashmir: धरती पर स्वर्ग का एहसास कराती है कश्मीर घाटी, मंदिरों और मस्जिदों से बढ़ती है इसकी सुंदरता
punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2024 - 07:00 AM (IST)
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Kashmir: कश्मीर का जिक्र आते ही विश्व प्रसिद्ध उक्ति अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है का स्मरण बरबस हो जाता है। कश्मीर घाटी खूबसूरत वादी के लिए प्रसिद्ध तो है ही, वहीं मंदिरों, मस्जिदों एवं खूबसूरत पार्कों के लिए भी जाना जाता है। श्रीनगर से ही सोनमर्ग, गुलमर्ग, पहलगाम आदि प्राकृतिक रूप से अत्यधिक सुंदर स्थलों की सैर का आनंद लिया जा सकता है। झेलम नदी के दोनों ओर बसे श्रीनगर को जोड़ने के लिए 7 पुल बने हैं।
सोनमर्ग
सोनमर्ग का अर्थ ‘सोने से बना घास का मैदान’ होता है। सोनमर्ग समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह श्रीनगर के उत्तर-पूर्व से 87 मीटर की ऊंचाई पर है। यहीं पर स्थित सिंध घाटी कश्मीर की सबसे बड़ी घाटी है जो लगभग 8 मील लम्बी है। श्रीनगर से सोनमर्ग जाते समय पुराने श्रीनगर शहर से गुजर कर गंधरबल से होते हुए जाना पड़ता है।
इस क्षेत्र में पानी बहुत है तथा एक पावर हाऊस भी है। गंधरबल से होते हुए आप सिंधु नदी के पास से गुजरते हैं। कहा जाता है कि शेषनाग झील से दो नदियां निकलती हैं, गंधरबल से सिंधु एवं पहलगाम की तरफ ‘लिद्दर नदी’, इसके आगे ‘कांगन गांव’ आता है। यहां गर्मी में चावल और सर्दी में सरसों की खेती होती है। यहां आमतौर पर पर्यटन सीजन में वाहनों का जाम लग जाना आम बात है। इसके आगे घाटी में उतार-चढ़ाव के बाद रायल गांव आता है जहां अनेक झरने एवं 2-3 पावर हाऊस भी हैं।
सोनमर्ग में अनेक होटल भी हैं। यहां से आगे जाने के लिए आपको दूसरी गाड़ी या खच्चरों की सवारी करनी पड़ती है। यहां से कुछ दूरी पर फिशिंग लेक एवं इसके आगे कश्मीर घाटी का अंतिम गांव ‘सरबल’ स्थित है। सोनमर्ग से लेह रोड पर ही अमरनाथ यात्रा का पड़ाव स्थल ‘बाल टाल’ आता है। पूरे क्षेत्र में केंद्रीय सुरक्षा बल एवं अन्य जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं। सोनमर्ग से खच्चरों पर या पैदल ‘थाजीवास’ ग्लेशियर जाया जा सकता है। यहां जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू/उधमपुर तथा हवाई अड्डा श्रीनगर है।
पहलगाम
यह कश्मीर घाटी के सबसे खूबसूरत पहाड़ी पर्यटक स्थलों में से एक है। समुद्र तल से 2130 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पहलगाम लिद्दर नदी एवं शेषनाग झील के मुहाने पर बसा है। यह अनंतनाग जिले में चारों ओर बर्फ से ढंकी चोटियों, चमकते ग्लेशियर एवं छल-छल करती नदी के बीच बसा है। श्रीनगर से पम्पोर होते हुए जाते हैं जहां रेशम कीट पालन सेंटर है। इसके आगे अवंतिपुर आता है जिसे राजा अवन्तिवर्मन ने बसाया था। इसे कश्मीर की पुरानी राजधानी भी कहा जाता है। यहां अब विष्णु एवं सूर्य मंदिरों के कुछ अवशेष ही बचे हैं। इसके आगे लाथपौर स्थान है जहां केसर की खेती की जाती है।
लाथपौर से आगे टाल गांव से होते हुए पहलगाम का रास्ता दो तरफ से है। एक तरफ एप्पल सिटी है जबकि दूसरा अनंतनाग शहर से होते हुए है। एप्पल सिटी में पूरे क्षेत्र में सेब के बगीचे देखे जा सकते हैं। पहलगाम में खच्चरों द्वारा पहाड़ी पर्यटन स्थलों की एवं गाड़ी द्वारा चंदनवाड़ी एवं वैतरणी झील की सैर की जा सकती है।
पहलगाम के प्रमुख दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं:
ममलेश्वर : पहलगाम से 1 कि.मी. की दूरी पर ममल गांव स्थित है। यहां लिद्दर नदी के दूसरी तरफ ममलेश्वर नामक शिव का एक छोटा मंदिर है। इस मंदिर का संबंध 12वीं शताब्दी के राजा जय सीमा के काल से है। यह कश्मीर के सबसे प्राचीन मंदिरों में एक है।
बैसारन : भारत का स्विट्जरलैंड कहलाने वाला 150 मीटर ऊंचा यह घास का मैदान पहलगाम से लगभग 5 कि.मी. दूर स्थित है। खच्चरों पर उबड़-खाबड़ रास्तों एवं सीधी पहाड़ी के दुर्गम स्थलों के बीच होते हुए इस स्थान पर पहुंचते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है। बैसारन पाइन/ यीड के वनों एवं बर्फ से आच्छादित चोटियों से घिरा खूबसूरत स्थल है।
तुलियन झील : यह झील बैरन से 11 कि.मी. की दूरी पर है। वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से ढंकी चोटियों से घिरी यह खूबसूरत झील 3153 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां का प्राकृतिक परिवेश अत्यंत मनोरम है।
ओवेरा वन्यजीव अभयारण्य : पहलगाम के निकट स्थित यह अभयारण्य 32.27 वर्ग कि.मी. में फैला है तथा यहां अनेक दुर्लभ एवं लुप्तप्राय: पक्षी एवं स्तनधारी जीवों की अनूठी प्रजातियां देखी जा सकती हैं।
मतरड़ : मतन गांव में एक ऊंचे पठार पर स्थित मतरड़ मंदिर के अवशेष बड़ी संख्या में सैलानियों को आकर्षित करते हैं। मंदिर में स्थापित देवता की मूर्ति के नाम पर ही गांव का नाम मतन या मरतड़ पड़ा। ललितादित्य मुखापिड़ा द्वारा बनवाया गया यह मंदिर कश्मीर के सबसे आकर्षक अवशेषों में से एक है।
गुलमर्ग
यह जम्मू एवं कश्मीर का खूबसूरत पहाड़ी स्थल है। इसकी सुंदरता के कारण इसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। बारामूला जिले में स्थित यह स्थल ‘फूलों का प्रदेश’ भी कहलाता है। समुद्र तल से 2730 मीटर की ऊंचाई पर बसे गुलमर्ग में प्राय: सभी सीजन में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। गुलमर्ग की स्थापना अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में 1927 में की थी।
इसका मूल नाम गौरी मार्ग था जो यहां के चरवाहों ने इसे दिया था। 16वीं शताब्दी में सुल्तान युसूफ शाह ने इसका नाम ‘गुलमर्ग’ रखा। आज यह मात्र बर्फ के पहाड़ों का शहर नहीं वरन विश्व के सबसे बड़े गोल्फ कोर्स, देश के प्रमुख स्की रिजार्ट तथा गोंडोला केबल कार यात्रा के लिए जाना जाता है। गुलमर्ग के आंचल में एक खूबसूरत घाटी खिलनमार्ग है। यहां के हरे मैदानों में जंगली फूलों का सौंदर्य एवं बर्फ से ढके हिमालय के पहाड़ कश्मीर घाटी का अद्भुत नजारा पेश करते हैं। गुलमर्ग से 8 कि.मी. दूर स्थित निंगली नल्लाह धारा है जो अफरवात चोटी से पिघली बर्फ एवं अफरवात चोटी के नीचे चीड़ एवं देवदारों के वृक्षों से घिरी अलपायर झील के पानी से बनी है।