काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंगः जहां स्वयं भोले बाबा करते हैं निवास

Wednesday, Jul 31, 2019 - 09:25 AM (IST)

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सावन के महीने में ज्योतिर्लिंग व शिवलिंगों का पूजन करने से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। ऐसा माना गया है कि भगवान शिव तो केवल एक लोटा जल चढ़ाने से ही खुश हो जाते हैं। ऐसे में सावन का पूरा माह अगर उनकी सेवा व भक्ति की जाए तो वह हर किसी के दिल की मुराद पूरी कर देते हैं। हमारे देश में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं और सबकी अपनी एक अलग महत्वता है। शास्त्रों के अनुसार सावन के दौरान अगर किसी एक के भी दर्शन कर लिए जाएं तो अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

आज हम बात करेंगे सातवें ज्योतिर्लिंग की, जोकि उत्तर भारत की नगरी काशी में स्थित है। तीनों लोकों में न्यारी इस धार्मिक नगरी में हजारों साल पूर्व स्थापित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर विश्वप्रसिद्ध है। हिंदू धर्म में सर्वाधिक महत्व के इस मंदिर के बारे में कई मान्यताएं हैं। माना जाता है कि भगवान शिव ने इस 'ज्योतिर्लिंग' को स्वयं के निवास से प्रकाशपूर्ण किया है। भगवान शिव मंदर पर्वत से काशी आए तभी से उत्तम देवस्थान नदियों, वनों, पर्वतों, तीर्थों तथा द्वीपों आदि सहित काशी पहुंच गए। इस परम पवित्र नगरी के उत्तर की तरफ ओंकारखंड, दक्षिण में केदारखंड और बीच में विश्वेश्वरखंड है। प्रसिद्ध विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग इसी खंड में स्थित है। पुराणों में इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में यह कथा दी गई है।

भगवान शंकर पार्वती जी से विवाह करके कैलाश पर्वत रह रहे थे। लेकिन वहां पिता के घर में ही विवाहित जीवन बिताना पार्वती जी को अच्छा न लगता था। एक दिन उन्होंने भगवान्‌ शिव से कहा- 'आप मुझे अपने घर ले चलिए। यहां रहना मुझे अच्छा नहीं लगता। सारी लड़कियां शादी के बाद अपने पति के घर जाती हैं, मुझे पिता के घर में ही रहना पड़ रहा है।' 
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भगवान शिव ने उनकी यह बात स्वीकार कर ली। माता पार्वती को साथ लेकर अपनी पवित्र नगरी काशी में आ गए। यहां आकर वे विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन द्वारा मनुष्य समस्त पापों-तापों से छुटकारा पा जाता है। प्रतिदिन नियम से श्री विश्वनाथ के दर्शन करने वाले भक्तों के योगक्षेम का समस्त भार भगवान शंकर अपने ऊपर ले लेते हैं। ऐसा भक्त उनके परमधाम का अधिकारी बन जाता है। भगवान शिव की कृपा उस पर सदैव बनी रहती है।

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