Karwa Chauth 2020: इस दिशा में बिताएं दोपहर का समय, मैरिड लाइफ में घुलेंगी प्यार की महक

Tuesday, Nov 03, 2020 - 12:57 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
इस वर्ष 04 नवंबर को देश भर के कई हिस्सों में करवाचौथ का पर्व मनाया जाएगा। सनातन धर्म में इस त्यौहार को अधिक महत्व प्रदान है। महिलाएं इस दिन पति की लंबी आयु और उनकी सलामती की दुआ से पूरा दिन व्रत करती है। बता दें प्रत्येक वर्ष करवाचौथ का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन पूरी धूम-धाम से मनाया जाता है। कहा जाता है लगभग सनातन धर्म से संबंध रखने वाली लगभग प्रत्येक सुहागिन महिला इस व्रत को करती है। क्योंकि कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में ये व्रत पंचाली यानि पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी रखा था। इससे जुड़ी अन्य कथाओं के अनुसार सत्यवान की पत्नी सावित्री ने यमराज से उसके प्राण वापिस लाने के लिए खान-पान सब त्याग कर इस व्रत की पंरपरा की शुरूआत की थी। यही कारण है इस व्रत का इतना महत्व है।

करवाचौथ के इस खास अवसर पर हम आपको इसी से जुड़ी कुछ खास जानकारी देने वाले हैं, जो आपके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।

जी हां, इस जानकारी में हम आपको बताएंगे वास्तु शास्त्र में बताई गई कुछ ऐसी बातें, जिनके बारे में उन महिलाओं के लिए जानना बेहद ज़रूरी होता है। तो चलिए देर न करते हुए बताते हैं वास्तु शास्त्र में बताए गए उन वास्तु टिप्स का जिससे आपका वैवाहिक जीवन मधुर होगा, साथ ही साथ घर-परिवार में सुख-शांति बढ़ती है।

करवाचौथ में सबसे ज़रूरी जो होता है वो होती है सरगी की रस्म। इसलिए बेहद ज़रूरी होता है कि सरगी खाते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाए कि इसे कि दिशा में बैठकर खाना चाहिए। तो बता दें इसके लिए सबसे अच्छी दिशा होती है दक्षिण-पूर्व दिशा की। कहते हैं इस दिशा में बैठकर सरगी खाने से व्रती महिला को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

इसके बाद आता है दोपहर का समय। वास्तु शास्त्र के अनुसार ये समय दक्षिण-पूर्व दिशा में बिताना सबसे अच्छा होता है। इसका कारण ये बताया जाता है कि इस दिशा का तत्व अग्नि है, जहां परिवार के साथ दोपहर का समय बिताने से बिताने से रिश्तों में मिठास पैदा होती है।  

करवा चौथ को दोपहर का समय दक्षिण-पूर्व दिशा में बिताना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस समय इस दिशा का तत्व अग्नि होता है इसलिए यह समय अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिताएं। 

इसके साथ ही बता दें करवाचौथ के दिन कथा सुनने के बाद दक्षिण-पश्चिम में ही समय बिताना चाहिए। मान्यता है इससे पति पत्नी में आपसी प्यार बढ़ता है।

रात को व्रत खोलने के समय महिलाओं को जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप उत्तर-पश्चिम की हो। साथ ही साथ करवाचौथ की पूजा के समय महिलाओं का मुंह उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा की ओर करें। कहा जाता है इससे पूजा और व्रत का दोगुना फल मिलता है।

 

Jyoti

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