Kartik Maas 2020: गायत्री मंत्र के जप का है अधिक महत्व, जाप से मिलती है मन को शांति

Saturday, Oct 31, 2020 - 03:23 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कार्तिक मास में धर्म कर्म के कई कार्य किए जाते हैं, क्योंकि कहा जाता है ये पूरा मास ही धार्मिक कार्य करने के लिए होता है। यही कारण है कि इस दौरान कोई स्नान-दान में व्यस्त होता है तो कोई विभिन्न प्रकार से पूजा आदि करने में तो कोई ज्योतिष उपाय आदि करने में। इस दौरान लोग बड़े से बड़े उपाय व धर्म कर्म के कार्य करते नज़र आते हैं। ये सब काम केवल इसलिए किए जाते हैं क्योंकि कार्तिक मास को समस्क 12 माह में से सबसले अधिक शुभ व पावन माना जाता है। इसलिए हर कोई अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करता है कि किसी न किसी प्रकार से इस मास के अधिष्ठात्र देव भगवान विष्णप व दामोदर को प्रसन्न कर लें। ऐसे में कुछ लोग कई तरह की गलतियां भी कर बैठते हैं जिसके चलते उन्हें इस मास में मिलने वाला पुण्य प्राप्त नहीं हो पाता। ऐसे में जातक के मन में यकीनन ऐसा ख्याल आता है कि जातक को ऐसा क्या कार्य करना चाहिए जिससे इस मास का पुण्य प्राप्त किया जा सके। 

आपको बता दें अगर आपके मन में ऐसा कोई विचार चल रहा है तो हमारे पास आपके इस विचार से जुड़ा कुछ ऐसा उपाय जिससे आपको ये कामना पूरी हो सकती है। जी हां, दरअसल शास्त्रों में ऐसा एक उपाय बताया है जो कार्तिक मास में किया जा सकता है। जी हां, दरअसल बताया जाता है कि कार्तिक मास में जपा जाने वाले एक ऐसा मंत्र है, जिसे कार्तिक मास का पुण्य प्राप्त होता है। इतना ही नहीं इस मंत्र से अन्य भी कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।  

आपको बता दें हम बात कर रहे हैं गायत्री मंत्र की। हिंदू धर्म में इस मंत्र का अधिक महत्व है। मगर कार्तिक मास में इसके उच्चारण से क्या लाभ प्राप्त होते हैं इस बात से लोग अंजान हैं। शास्त्रों में बताया जाता है इस मंत्र के जप से व्यक्ति को हर प्रकार के मानसिक तनाव से राहत मिलती है। साथ ही साथ शरीर को रोग प्रतिरोधत क्षमता बढ़ती है। मन को शांत करने में तथा स्वास्थ्य को अच्छा करने में भी इस मंत्र का अधिक योगदान होता है।

मगर इसे करने से सही विधि क्या है इस बार में जानना भी अधिक ज़रूरी है, चलिए जानते हैं इसके जप की सही विधि-  

सबसे पहले इहर किसी को इस बारे में पता होना चाहिए कि कार्तिक मास में इस मंत्र का जाप प्रातः काल करना ही लाभदायक होता है।

गायत्री मंत्र-
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।

इस मंत्र का अर्थ है कि सृष्टि की रचना करने वाले, प्रकाशमान परमात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, परमात्मा का यह तेज हमारी बुद्धि को सही मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।

मंत्र के जाप की व्यवस्था हमेशा किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर ही करनी चाहिए। प्रातः उठकर स्नान के बाद घर के मंदिर में गायत्री माता की मूर्ति या चित्र के सामने कुश के आसन पर बैठकर पहले माता का पूजन करें और कम से कम 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें।

जप के दौरान रुद्राक्ष की माला का प्रयोग भी कर सकते हैं। शास्त्रों में इस मंत्र के जाप के लिए तीन समय बताए गए हैं। 

जिनमें से पहला समय है सुबह का, सूर्योदय से कुछ देर पहले का, जिस दौरान मंत्र का जाप शुरू किया जाए तो सूर्योदय के बाद तक जप करते रहने चाहिए।

दूसरा समय है दोपहर का और तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त से कुछ देर पहले का। सूर्यास्त से पहले मंत्र जाप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जाप किया जाता है।

ध्यान रहे इन तीन समय के अतिरिक्त अगर जातक जप करना है उसे मौन रहकर, मानसिक रूप से जप करना चाहिए। इसके अलावा ये भी ध्यान रहे कि मंत्र जाप अधिक तेज आवाज़ में न करें। 
 

Jyoti

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