सावन 2019: पहले दिन काशी में दिखी भोले के भक्तों की धूम

Thursday, Jul 18, 2019 - 07:23 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
यूं तो भारत के हर कोने में सावन की धूम देखने को मिलती है। मगर अगर बात की जाए शिव जी की नगरी काशी की तो यहां का नज़ारा कुछ और ही होता है। अब आप में से आधे लोग ये कहेंगे कि ऐसा इसलिए क्योंकि ये शिव जी की नगरी कहलाती और मान्यता के अनुसार यहां साक्षात भगवान शंकर का वास है। जी आप सही हैं, लेकिन इसके अलावा एक और कारण हैं। वो है यहां की कांवड़ यात्रा। बीते दिन यानि 17 जुलाई को सावन के महीने के आगाज़ के दिन ही बड़ी संख्या में कांवड़िया लेकर भक्त जन पहुंचें। इस दौरान काशी की सड़कों पर बोले बाबा के जयकारे गूंजते सुनाई दें। बताया जा रहा है बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए यहां बड़ी संख्या में लगी कतारें देखी गई। 

कहा जाता है कि सावन का महीना शिवभक्तों के लिए बहुत खास होता है। इस पूरे माह में भगवान शिव का जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है। इसलिए शिवभक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए काशी से कांवड़ यात्रा निकालते हैं। बता दें इस बार सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को और अंतिम 15 अगस्त को पड़ रहा है। एक तरफ़ भगवान नीलकंठ के गले जैसा नीला आसामान सिर पर छाया है तो काशी को भक्तों ने भक्ति के केसरिया रंग से रंग रखा था। 

आइए जानें कैसा रहा काशी में सावन का पहला दिन- 
बताया जा रहा है कि आधी रात के पहले से ही बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन को कतारें लग गई थी। माना जा रहा है पूरा एक महीना सड़कों से लेकर गलियां श्रद्धालु और कांवड़ि‍यों से पटी रहेंगी।

भोलेनाथ को प्रसन्‍न करने और उनकी कृपा पाने के लिए कांवड़िए सावन भर काशी आएंगे। मगर हर बार सावन के पूरे महीने की तुलना में खासतौर सोमवार को आस्‍था का सैलाब उमड़ता है। 

श्रद्धालुओं की भीड़ के मद्देनज़र देखते हुए पहली बार सावन में श्री काशी विश्‍वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगाई गई है। जिसके कारण भक्‍त गर्भगृह के बाहर से ही दर्शन कर सकेंगे।

17 जुलाई यानि बुधवार के दिन श्रृद्धालुओं का बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने के बाद भी भी रेला चलता रहा और हर तरफ़ जयकारा गूंजता रहा। बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए गंगा में स्नान करते कांवड़ यात्री।

बता दें शिव की नगरी हरिद्वार में भी गंगा के तट पर कांवड़ियों की धूम रहती है। सावन के महीने में भोले की इस पावन नगरी में भक्‍तों का हुजूम उमड़ पड़ता है।

Jyoti

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