Kanjak puja 2021: जानें, अष्टमी-नवमी की सही तारीख और पूजा विधि !

Tuesday, Oct 12, 2021 - 09:28 AM (IST)

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When is kanjak in october 2021: पूरे देश में इस वक्त नवरात्रि की धूम है और मां के अलग-अलग रुपों की पूजा हो रही है। वैसे भी शारदीय नवरात्रि का अपना खास महत्व होता है और महा अष्टमी व नवमी का हिन्दुओं के लिए विशेष महत्व होता है। इस बार चतुर्थी तिथि क्षय होने से नौ की बजाय आठ दिन के नवरात्र हैं। अब 13 अक्तूबर को अष्टमी और 14 को नवमी मनाई जाएगी। इन दोनों दिनों में भक्त कन्या पूजन कर सकेंगे। नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान पड़ने वाली अष्टमी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन को दुर्गा अष्टमी या फिर महाअष्टमी कहा जाता है। अष्टमी तिथि को मां के आठवें स्वरुप महागौरी माता के पूजन का विधान है। महाष्टमी 13 अक्टूबर को मनाई जा रही है।

चैत्र में आने वाली नवमी को जहां राम नवमी के रूप मनाया जाता है तो शारदीय नवरात्रि को महानवमी कहा जाता है। इस दिन नवमी की विशेष पूजा की जाती है। यह दिन महागौरी देवी सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। महानवमी इस बार 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

मां दुर्गा की पूजा में महाअष्टमी और नवमी दोनों का ही बेहद खास महत्व होता है। कई सारे लोग महाअष्टमी को तो कुछ लोग नवमी को कन्या पूजन करते हैं।

जानें, महाअष्टमी और नवमी को कैसे पूजन करना है
सबसे पहले महाअष्टमी की बात करते हैं। इस बार अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर दिन बुधवार को पड़ रही है। इस दिन महगौरी माता का पूजन किया जाएगा। अष्टमी तिथि का आरंभ 12 अक्टूबर 2021 को रात 09 बजकर 47 मिनट से होगा और 13 अक्टूबर 2021 को रात 08 बजकर 07 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी।

नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी तिथि को मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी माता का पूजन किया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि मां महागौरी के पूजन से विवाह की बाधाएं भी दूर होती हैं। मां महागौरी की पूजा-आराधना करने से पूर्वसंचित पाप कर्म भी नष्ट हो जाते हैं। इस दिन विधिवत पूजन व व्रत करने से सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन लोग मां महागौरी का पूजन करने के साथ ही अपने घर में पंडित जी को बुलाकर हवन अनुष्ठान करवाते हैं।

Kanjak puja 2021 इस विधि से करें अष्टमी तिथि को महागौरी का पूजन
इस दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद मां महागौरी के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें।
अब मां का तिलक करें और उन्हें सफेद पुष्प, फल आदि अर्पित करें।
एक उपले के टुकड़े की अंगार पर लौंग, कपूर देसी घी आदि से अग्यारी करें। 
विधिवत पूजन के बाद मां की आरती उतारें और वहीं बैठकर मां का ध्यान करते हुए मंत्र जाप करें।
यदि आप पूरी नवरात्रि के व्रत रखते हैं तो अष्टमी को हवन करवाना चाहिए।

Maha Navami 2021 महानवमी पर पूजा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें
महानवमी 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी। मां का आशीर्वाद आप पर बना रहे इसके लिए सबसे पहले अगर आप नवमी को कन्या पूज रहे हैं तो इसके लिए सुबह उठकर स्नान करें। अपने किचन को अच्छे से एक दिन पहले शाम को ही साफ कर लें ताकि सुबह जब आप मां को भोग का प्रसाद बनाएं तो आपको किचन का काम न करने पड़े। पूजा करते वक्त माता महागौरी और सिद्धीदात्री की अराधना करें और उसके बाद अपने घर में आसपास की कन्याओं को बुलाकर उनकी पूजा करें और अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोजन कराएं।

छोट कन्याओं को मां दुर्गा का रुप माना जाता है, ऐसे में उन्हें लाल चुड़ियां और लाल चुनरी चढ़ाई जाती है। साथ ही उन्हें भोग में चढ़ाया हुआ प्रसाद खिलाया जाता है। उनके पैर धोकर, मौली बांधे और मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी पूजा करें साथ ही कन्याओं को हलवा, पूरी औऱ काले चने का प्रसाद दें। आप चाहें तो उन्हें कुछ उपहार भी दे सकते हैं। कन्या पूजन से आपके घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। परिवार सुखी रहता है और माता के आशिर्वाद से आपके घर में सुख-समृधि बनी रहती है।

नवमी तिथि या महानवमी वह दिन है, जब देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। नवरात्र का पर्व सिर्फ देवी आराधना तक सीमित नहीं है। देश में उत्तर से दक्षिण तक सांस्कृतिक विविधता के बीच विभिन्न राज्यों में इसके मनाने की अलग-अलग परंपराएं हैं। हिंदी प्रदेशों में जहां नवरात्र पर्व में रामलीला और रावण वध का मंचन होता है, वहीं तमिलनाडु में गुड़ियों की पूजा तो केरल में सरस्वती पूजन किया जाता है। गुजरात का गरबा पर्व तो पूरी दुनिया में विख्यात है।

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com

Niyati Bhandari

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