कामिका एकादशी- शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और उपाय

Sunday, Jul 28, 2019 - 09:54 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
आज यानि 28 जुलाई, 2019 को श्रावण माह की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के श्री धर स्वरूप का पूजन किया जाता है, जिसे कामिका एकादशी के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार सावन माह में आने वाली एकादशी के दिन भगवान शंकर की पूजा का भी विधान है। मान्यता है सभी एकादशी व्रतों में से कामिका एकादशी का व्रत सबसे उत्तम माना जाता है। जो भी जातक इस दिन व्रत व श्री धर का पूजन करता है वह अपने कष्टों से मुक्ति पाता है। बता दें कुछ पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक अन्य एकादशी की तरह कामिका एकादशी पर भी पीले रंग का काफ़ी बड़ा महत्व होता है। इसलिए संभव हो तो इस दिन भगवान विष्णु के श्रीधर स्वरूप की पीले फल-फूल से पूजा करें। 

एकादशी तिथि का आरंभ- प्रातः 9:00-19:45 शाम तक
पारण समय- 06:06 से 08:37

यहां जानें व्रत व पूजन से जुड़ी बातें-
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सुबह जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद पूजा करते समय साफ़ कपड़े पहनकर विष्णु भगवान का ध्यान करना चाहिए।

हो सके तो इस दिन घर में प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन का बिल्कुल भी इस्तेमाल न करें।

प्रातः व सायः दोनों समय एकादशी की पूजा के दौरान में साफ़-सुथरे कपड़े पहनकर व्रत कथा पढ़े या सुनें। कहा जाता है एकादशी की पूजा से परिवार में शांति पूर्वक माहौल बनता है।

ज्योतिष के अनुसार कामिका एकादशी पर आसन पर बैठकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बाहर जाप जरूर करें। बता दें कि कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा एक दिन पहले दशमी तिथि की रात्रि से ही व्रत नियम को लेकर शुरू हो जाती है।

पूर्व दिशा की तरफ़ एक पटरे पर पीला रेशमी कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित करें। फिर धूप-दीप जलाएं और कलश स्थापित करें। अपने क्षमता के अनुसार फल-फूल, पान, सुपारी, नारियल, लौंग आदि अर्पण करें और खुद भी पीले आसन पर बैठ जाएं।

अब दाएं हाथ में जल लेकर घर में धन धान्य की बरकत के लिए भगवान विष्णु के सामने संकल्प लें। संभव हो तो पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय कामिका एकादशी की व्रत कथा सुनें और फलाहार करें।

इस दिन शाम के समय भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने एक गाय के घी का दीपक ज़रूर जलाएं। साथ ही अब दूसरे दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराकर तथा दक्षिणा देकर उसके बाद स्वयं खाना खाना चाहिए।

5 सफ़ेद जनेऊ को केसर से रंगे और 5 स्वच्छ पीले फल लें।

तुलसी की माला से पीले आसन पर बैठकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का तीन माला का जाप करें।

जाप के बाद पांचों जनेऊ और पीले फल भगवान विष्णु के मंदिर में अर्पण कर दें और मन की इच्छा भगवान विष्णु के सामने जरूर कहें।

Jyoti

Advertising