Kamika ekadashi 2021: आज रात जागरण करने से मिलेंगे ढेरों लाभ

Wednesday, Aug 04, 2021 - 07:38 AM (IST)

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Kamika ekadashi 2021: मनोवांछित फलों की प्राप्ति के लिए कामिका एकादशी का व्रत करना सर्वोत्तम साधन है। भगवान श्री कृष्ण ने कामिका एकादशी की व्रत कथा स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी तत्पश्चात सूर्यवंशी राजा दिलीप को वशिष्ठ मुनि ने सुनाई थी। इस पावन कथा को सुनने के बाद उन्हें पापों से मुक्ति एवं मोक्ष की प्राप्ती हुई थी। 
 

धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा,"श्री कृष्ण! सावन के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी का आगमन होता है ? कृपया करके बताएं।"

भगवान श्री कृष्ण ने कहा," धर्मराज! सावन के कृष्णपक्ष में सभी पापों का नाश करने वाली और मनोवांछित फलों को देने वाली कामिका एकादशी का शुभ आगमन होता है।" 
 

पुरातन काल में जगत पिता ब्रह्मा से महर्षि नारद ने पूछा," सावन के कृष्ण पक्ष में किस एकादशी का आगमन होता है, उसका क्या नाम है? उसके प्रधान देव कौन हैं तथा इस व्रत को करने से कौन से पुण्य की प्राप्ति होती है?" 
 

ब्रह्मा जी बोले," नारद! आपने समस्त ब्रह्मांड के हित का प्रश्न पूछा है। सावन के कृष्ण पक्ष में कामिका एकादशी का आगमन होता है। यह एकादशी इतनी शुभ फलदाई है की उसके स्मरण मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस दिन किए गए पूजन से जो फल मिलता है वह गंगा, काशी, नैमिषारण्य तथा पुष्कर क्षेत्र में दर्शन करने से भी प्राप्त नहीं होता। सिंह राशि के बृहस्पति होने पर तथा व्यतीपात और दण्डयोग में गोदावरी स्नान से जिस अमोघ फल की प्राप्ति होती है वही फल भगवान श्री कृष्ण की अर्चना से मिलता है।"
 
जो मनुष्य समुद्र और वन सहित सारी पृथ्वी का दान करता है तथा जो ‘कामिका एकादशी’ का व्रत करता है। वे दोनों जातक ही एक समान फल के भागी होते हैं। आज रात को जागरण करने से यमदूत का दर्शन नहीं होता और न ही कभी दुर्गति को प्राप्त हुआ जा सकता है। 
 

एकादशी के दिन सांझ ढले दीप दान करने से प्राप्त होने वाले असंख्य पुण्यों का लेखा जोखा तो चित्रगुप्त भी नहीं जानते। एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण के सम्मुख जिसका दीपक जलता है, उसके पितर स्वर्गलोक में स्थित होकर अमृतपान से तृप्त होते हैं। घी या तिल के तेल से भगवान के सामने दीपक जलाकर मनुष्य देह त्याग के पश्चात करोड़ो दीपकों से पूजित हो स्वर्गलोक में जाता है। 

Niyati Bhandari

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