कामिका एकादशी 2022: सावन की पहली एकादशी जानें क्या है शुभ मुहूर्त व पूजन विधि

Sunday, Jul 24, 2022 - 09:31 AM (IST)

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सावन का माह चल रहा है, ऐसे में सब शिव शंकर को प्रसन्न करने में लगे दिखाई देते हैं हो लेकिन जैस ही एकादशी का व्रत आता है तो हर कोई विष्णु भगवान की आराधना में जुट जाता है। क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार एकादशी का व्रत श्री हरि विष्णु को समर्पित है। 24 जुलाई, दिन रविवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी का व्रत पड़ रहा है। जिसके उपलक्ष्य में नारायण भगवान की विधि वत पूजा की जाती है। यूं तो बताया जाता है कि वर्ष में पड़ने वाली प्रत्येक एकादशी बेहद खास होती है। परंतु श्रावण मास की बात करें तो शिव जी मास में विष्णु भगवान के पूजन का महत्व और बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत, पूजा और दान के शुभ प्रभाव से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं श्रावण मास 2022 के कामिका एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत पारण का समय व पूजन विधि के बारे में पूरी जानकारी।



कामिका एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि का आरंभ 23 जुलाई को सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर होगा और इसका समापन 24 जुलाई को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर होगा। तो उदया तिथि के हिसाब से कामिका एकादशी का व्रत 24 जुलाई, दिन रविवार को रखा जाएगा और इसका पारण अगले दिन 25 जुलाई को किया जाएगा तो वही व्रत पारण का शुभ मुहूर्त प्रातः 05 बजकर 36 मिनट से सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर होगा।


कामिका एकादशी तीन शुभ योग-
बता दें कि कामिका एकादशी के दिन अर्थात 24 जुलाई को प्रात:काल से वृद्धि योग शुरू होगा जो कि दोपहर बाद 02 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से ध्रुव योग लग जाएगा। इसी दिन द्विपुष्कर योग भी लग रहा है। बता दें कि द्विपुष्कर योग 24 जुलाई को रात 10 बजे से अगले दिन सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। चूंकि सुबह से ही वृद्धि योग शुरू हो जाएगा। ऐसे में व्रती प्रातः काल से ही भगवान विष्णु की पूजा कर सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि वृद्धि योग में पूजा पाठ करने से जो भी पुण्य प्राप्त होता है, उसमें वृद्धि होती है। तो वही ध्रुव योग  में आप कोई भी स्थिर कार्य करते हैं, तो उसमें आपको सफलता प्राप्त होती है। इसके अलावा द्विपुष्कर योग में किए गए कार्यों में दोगुना वृद्धि होती है।

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कामिका एकादशी की पूजन विधि-
कामिका एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान करके एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल से श्री हरि का अभिषेक करें। फिर तुलसी, अक्षत, फूल, माला लेकर भगवान विष्णु की सच्चे मन से आराधना करें। फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं। भगवान को रोली और चंदन का तिलक लगाएं। पूजा पाठ करने के उपरांत कामिका एकादशी की व्रत कथा पढ़े और आखिर में आरती करें। फिर अगले दिन व्रत का पारण करते समय ब्राह्मणों को भोजन कराएं और सामर्थ्य अनुसार वस्त्र और दान दक्षिणा दें। इससे आपको मानसिक शांति प्राप्त होगी। कहते हैं कि कामिका एकादशी के दिन जो भी भक्त सच्चे मन और पूर्ण निष्ठा से भगवान विष्णु की आराधना करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही आपको सभी पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।

Jyoti

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