कई विशाल पत्थरों के देवी धाम को जकड़े हुआ है ये अद्भुत वृक्ष, जानिए कहां है?

punjabkesari.in Friday, Apr 15, 2022 - 05:42 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कहा जाता है कई रहस्यों को समेटे बालाघाट जिले के पहाड़ों पर देवी देवताओं का बसेरा है, जिनसे जुड़े  किस्से समय-समय पर आने लगते हैं, जो कई बार बार बेहद हैरान कर देने वाले माने जाते हैं। हाल ही में ऐसा ही एक किस्सा आया हैबालाघाट के दुर्गम पहाड़ का जहां कल्पवृक्ष होने का दावा किसी जानकार के द्वारा किया गया। इससे पहले की हम आपको इससे जुड़ी आगे की जानकारी दें बता दें कि कल्पवृक्ष का हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों और जानकारों के अनुसार अधिक महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कल्पवृक्ष समुद्र मंथन में निकला था जिसे देवराज इंद्र को देवलोक में लगाने के लिए दे दिया गया था। माना जाता है कि समुद्र मंथन में निकले हर वस्तु देवताओं से लेकर मानव जीवन के लिए आज भी उपयोगी है। उसी समुद्र मंथन में कल्पवृक्ष भी निकला था जिसका भारत भूमि में किसी दुर्गम स्थान में होने का दावा जानकार करते हैं। हाल ही में आई खबर के अनुसार कुछ जानकार ऐसे गुणकारी अद्भूद वृक्ष के होने को ही बालाघाट जिले के लिए गौरव होने की बात कह रहे हैं।
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बालाघाट मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर चलने पर हम हट्टा वन परिक्षेत्र के ग्राम गड़दा-बुढ़ेना में अन्नपूर्णा माता जी का धाम है। जहां पत्थरों की गुफा के ऊपर एक विशाल वृक्ष है जो देखने किसी उपवन की तरह लगता है। खास बात यह कि चारों ओर लगभग एक से डेढ़ एकड़ में एक ही पेड़ पत्थरों को अपनी जड़ों से जकड़कर फैला हुआ, जिसकी टहनियों पर भक्तों की मुराद के रूप में कपड़ें और फीते बंधे हैं। लोक मत है कि जब से वाराणासी के इस ज्ञानी ज्योतिष आचार्य ने इसे कल्पपृक्ष बताया है, तब से ग्रामीण इसे कल्पवृक्ष के रूप में पूज रहे हैं। 
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खनिज संपदा और वन संपदा से भरपूर बालाघाट जिले में जानकारों द्वारा अनेक अद्भुत और चौकाने वाले रहस्यों के होने का दावा किया जाता है। वहीं ग्राम गडदा-बुढ़ेना में पहाड़ों के शीर्ष परअन्नपूर्णा धाम के ऊपर बगैर मिट्टी के अद्भुत विशाल वृक्ष के होने पर पेड़ों के जानकार भी हैरान है। परंतु गूगल सोशल मीडिया और ग्रंथों का अध्यन के बाद  इस अद्भुत वृक्ष की तुलना कल्पवृक्ष से ही की जा रही है। बताया जा रहा है कि पत्थरों को अपनी जड़ों से जकड़ कर फैल रहा यह विशाल वृक्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। जो काफी समय से पहाड़ों की चोटी पर है, जो कितना प्राचीन है, इसके बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है। 
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विशाल पत्थरों वाले माता अन्नपूर्णा धाम को पूरी तरह घेरकर छत्र के रूप में फैला यह विशाल वृक्ष विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कौतूहल और आस्था के रूप में मौजूद इस वृक्ष के बारे में बाकायदा ग्रामीणों ने पत्थरों पर कल्पवृक्ष लिख दिया है। इस वृक्ष को मुराद पूरा करने वाले वृक्ष के रूप में भी खूब ख्याति मिल रही है। हालांकि वास्तव में यह वृक्ष शोध के बाद किस रूप में सामने आता है, इसका इंतजार है।  
 


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Content Writer

Jyoti

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