इस मंदिर के शिवलिंग का महमूद गजनवी से है गहरा संबंध

Tuesday, Jul 30, 2019 - 11:56 AM (IST)

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हर हर महादेव, बम-बम भोले, ॐ नम: शिवाय, कालों के काल, देवों के देव महादेव की जय हो। कहते हैं श्रावण के पावन माह में पृथ्वी ही नहीं बल्कि आकाश भी इन्हीं जयकारों से गूंजता है। क्योंकि इस महीने में पृथ्वी पर मनुष्यों के साथ-साथ देवी-देवता भी शिव शंकर की वंदना करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रावण के माह में ही शिव शंभू ने समुद्ध मंथन से निकला विष ग्रहण किया था, जिसे उन्होंने अपने कंठ में रख लिया था। इसके कारण उनके पूरे शरीर में जलन होने लगी थी तब देवताओं में उनकी वंदना गाते हुए उनका जलाभिषक किया था। जिसके बाद ही शिवलिंग व शिव जी पर जलाभिषेक आदि के परंपरा शुरू हुई।

सावन में हर शिव भक्त देश के विभिन्न मंदिरों में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करता है। इनमें से अधिकतर शिवलिंग स्वंयभू माने जाते हैं। इनमें से कई ऐसे शिवलिंग हैं जिन पर इनके प्राचीन होने के बारे में लिखा हुआ है। मगर आज जिस शिवलिंग के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिस पर कुछ ऐसा लिखा है जिस पर हिंदू धर्म से नहीं बल्कि मुस्लिम धर्म से जुड़ा कुछ लिखा है।

हम जानते हैं आपको शायद जानकर यकीन न हो रहा हो लेकिन यह सच है। गोरखपुर में भोलेनाथ का ऐसा मंदिर है जहां स्थापित शिवलिंग पर कलमा लिखा हुआ है। बता दें यह मंदिर गोरखपुर से 30 कि.मी दूर खजनी कस्बे के सरया तिवारी गांव में यह मंदिर स्थित है। आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी खास बातें-  

यहां की लोक मान्यता के अनुसार जब क्रूर आक्रमणकारी महमूद गजनवी ने भारत पर हमला किया तो इसमें गोरखपुर का यह शिव मंदिर भी नहीं बच पाया। मंदिर को पूरी तरह तबाह करने में तो वह सफल हो गया लेकिन शिवलिंग को नुकसान पहुंचाने में वह असफल रहा। बहुत कोशिशों के बाद भी वह शिवलिंग को टस से मस नहीं कर सका। जब महमूद गजनवी अपने मनसूबों में कामयाब नहं हो पाया तो उसने शिवलिंग पर उर्दू में 'लाइलाहइलाल्लाह मोहम्मद उररसूलउल्लाह' लिखवा दिया।

गांव के बुजुर्गों व मंदिर के पुजारियों का इस मंदिर के बारे में कहना है कि यहां का इतिहास काफ़ी पुराना है और पूरे भारत में ऐसा शिवलिंग कहीं और नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि इस शिवलिंग पर जितना भी घी का लेप लगाया जाता है शिवलिंग उतना ज्यादा चमकने लगता है।

तो वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि शिवलिंग की रक्षा हेतु कई बार उनके द्वारा एक विषैले सांप को फन फैलाए बैठे हुए देखा गया है। मगर यह सांप भोलेनाख के भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। जैसे ही कोई भक्त भगवान भोले की पूजा के लिए आता है सांप वहां से चला जाता है।

गांव के लोगों का दावा है कि अगर पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर के आसपास की खुदाई करवाई जाए तो निश्चित तौर पर इतिहास से जुड़े कई और साक्ष्य मिलेंगे। मंदिर से जुड़ी एक अन्य प्रचलित कहानी के  मुताबिक वहां एक ऐसा पोखर है जहां मल्ल राजा ने आकर स्नान किया था और उन्हें अपने कुष्ठ रोगों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई थी।

इसी मान्यता के चलते आज भी यहां लोग दूर-दूर से अपने विभिन्न रोगों से छुटकारा पाने के लिए इस पोखर में स्नान करने आते हैं।

Jyoti

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